भोपालमध्य प्रदेश

मालवा निमाड़ क्षेत्र में कांग्रेस के बढ़े जनाधार को खत्म करने अब आगे आया आरएसएस

भोपाल

मालवा निमाड़ क्षेत्र में कांग्रेस के बढ़े जनाधार को खत्म करने अब आरएसएस भाजपा के साथ और मजबूती से कदमताल करेगा। इसके लिए संघ ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं और 2013 के मुकाबले 2018 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में घटे बीजेपी के जनाधार को वापस लाने जमीनी तौर पर अभियान चलाएगा। इसी के मद्देनजर संघ के विद्याभारती संगठन का मालवा प्रांत का कार्यालय उज्जैन में शुरू होने जा रहा है जिसमें विद्या भारती के अलावा संघ से जुड़े अन्य कार्यक्रम संचालित होंगे। इस कार्यालय को लोकार्पण संघ प्रमुख मोहन भागवत करने वाले हैं। इस कार्यालय के माध्यम से ग्रामीण इलाकों, वनवासी और आदिवासी क्षेत्रों में संघ की बीजेपी की पैठ को मजबूत करेगा।

संघ ने यहां प्रांतीय कार्यालय के साथ संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं को टेड करने के लिए प्रशिक्षण केंद्र भी खोलने का निर्णय लिया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत के 22 फरवरी को उज्जैन में विद्या भारती मालवा के प्रांतीय कार्यालय एवं प्रशिक्षण केन्द्र का लोकार्पण करने के बाद इसमें और तेजी आएगी। इस नए भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष रामकृष्ण राव भी मौजूद रहेंगे। इस प्रांतीय कार्यालय सम्राट विक्रमादित्य भवन में विद्या भारती के चार संस्थान सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मालवा, ग्राम भारती शिक्षा समिति मालवा, वनवासी सेवा न्यास और माता शबरी अनुसूचित जनजाति सेवा न्यास की प्रांतीय गतिविधियों का संचालन किया जाएगा। कोरोना काल में बनकर तैयार हुए इस भवन में संघ की प्रशिक्षणात्मक गतिविधियां संचालित होंगी।

2013 और 2018 में यह थी स्थिति
मालवा निमाड़ अंचल में 66 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें से वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 36 और भाजपा को 27 सीटें मिली थीं और तीन निर्दलीय जीते थे। इसके विपरीत 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास सिर्फ 9 सीटें थी और भाजपा 56 सीटों पर काबिज थी। इस तरह पांच साल में भाजपा को 29 सीटों का नुकसान हुआ था। वर्ष 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के खाते में कांग्रेस के कब्जे वाली छह सीटें आई और एक सीट भाजपा को खोनी भी पड़ी। कांग्रेस के कब्जे वाली नेपानगर, मांधाता, सांवेर, हाट पिपल्या, बदनावर, सुवासरा भाजपा को मिल गई है जबकि आगर सीट से बीजेपी से छिनी है और कांग्रेस को मिली है। इसके बाद सीटों की जो स्थिति बनी थी, उसके अनुसार भाजपा के पास 33 और कांग्रेस के पास 30 सीटें हैं। यह अंतर भाजपा और संघ दोनों के लिए ही अभी भी चिंता का विषय बना है, जिसे कम करने और कांग्रेस की सीटें कम करने का काम यहां अब तेजी से होगा।

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