भोपालमध्य प्रदेश

जैविक खेती: लागत कम मुनाफा ज्यादा

भोपाल

सफलता की कहानी

जहाँ चाह होती है, वहाँ राह निकल ही आती है। व्यक्ति मन में कुछ नया करने की ठान ले तो उसे सफलता अवश्य मिलती है। भिण्ड जिले के सिरसोदा ग्राम के कृषक रामगोपाल ने इस उक्ति को चारितार्थ कर दिखाया है। कृषक रामगोपाल ने रासायनिक खाद की खेती को छोड़कर जैविक खेती को अपनाया है। जैविक खेती से रामगोपाल को अच्छा-खासा लाभ हो रहा है। रामगोपाल अब अपने गाँव के किसानों के लिए प्रेरणा-स्रोत बन गए हैं।

कृषक रामगोपाल अपने खेतों में पारम्परिक तरीके से खेती कर खरीफ में ज्वार, बाजरा, तिल एवं रबी में सरसों, गेहूँ की खेती कर सामान्य उत्पादन ही ले पाते थे। वर्षभर में एक फसल लेते थे। इससे परिवार का भरण पोषण ही हो पाता था।

कृषक रामगोपाल ने पढ़ाई-लिखाई के बाद खेती में बदलाव लाने के लिए अपनी कुल जमीन के कुछ हिस्से लगभग 1 हेक्टेयर में उद्यानिकी फसल लेने के लिए कुंआ खुदवाया और आलू की खेती की शुरूआत की। कृषक रामगोपाल ने उद्यानिकी खेती का तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने के लिए कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर, कृषि विज्ञान केंद्र के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। उद्यानिकी खेती की तकनीक प्राप्त की और अब वह जैविक खेती के लिए स्वयं के द्वारा तैयार वर्मी कंपोस्ट, जीवाणु खाद का उपयोग कर रहे हैं।

कृषक रामगोपाल स्वयं के द्वारा बनाया हुआ खाद एवं कीट नियंत्रण के लिए गौमूत्र के साथ अन्य जैविक रसायन का उपयोग कर रहे हैं। इससे कम लागत से अच्छा उत्पादन मिल रहा है। कृषक रामगोपाल अब पहले से दोगुनी आय अर्जित कर रहे हैं। एक खेत में चार फसल ले रहे हैं। कृषक रामगोपाल ने बताया कि जैविक पद्धति से तैयार खाद के उपयोग से वे संतुष्ट हैं। गाँव के दूसरे किसान भाईयों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य भी रामगोपाल कर रहे हैं।

 

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