जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोेर्ट ने पंचायत चुनाव प्रक्रिया एवं आरक्षण पर रोक लगानेे वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस मामले में ग्वालियर बेंच का आदेश बरकरार रखा है। हाईकोर्ट जबलपुर मेें इस मामले में गुरूवार को बहस चली। इधर हाईकोेर्ट केे निर्णय कोे लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा है कि अब इस मामले कोे लेकर सुप्रीम कोेर्ट जाएंगे। यहां बता दें कि पुराने आरक्षण पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर विभिन्न लोगों ने याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। इनमें स्टे की मांग की गई थी। सभी याचिकाओं पर गुरुवार को एकसाथ सुनवाई हुई।
जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने ग्वालियर बेंच में जस्टिस रोहित आर्या की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के आदेश को यथावत रखा। कोर्ट ने कहा कि जब ग्वालियर खंडपीठ ने स्टे देने से पहले ही मना कर दिया था, तो बेंच बदलने से क्या होगा?
संवैधानिक वैधता को दी गई थी चुनौती-
मामले में पहले अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया फिर ब्रम्हेंद्र पाठक व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, शशांक शेखर और आखिरी में आदर्शमुनि त्रिवेदी एसोसिएट की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें राज्यपाल द्वारा अध्यादेश जारी कर पंचायत अधिनियम में किए गए संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। दरअसल, सरकार ने 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया था। इसकी अधिसूचना जारी हो गई थी। इस पुरानी अधिसूचना को निरस्त किए बिना सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नई अधिसूचना जारी कर दी। राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2021 को आगामी पंचायत चुनाव को 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर कराने की घोषणा की है। इसी के आधार पर चुनाव पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है।
जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने ग्वालियर बेंच में जस्टिस रोहित आर्या की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के आदेश को यथावत रखा। कोर्ट ने कहा कि जब ग्वालियर खंडपीठ ने स्टे देने से पहले ही मना कर दिया था, तो बेंच बदलने से क्या होगा?
संवैधानिक वैधता को दी गई थी चुनौती-
मामले में पहले अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया फिर ब्रम्हेंद्र पाठक व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, शशांक शेखर और आखिरी में आदर्शमुनि त्रिवेदी एसोसिएट की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें राज्यपाल द्वारा अध्यादेश जारी कर पंचायत अधिनियम में किए गए संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। दरअसल, सरकार ने 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया था। इसकी अधिसूचना जारी हो गई थी। इस पुरानी अधिसूचना को निरस्त किए बिना सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नई अधिसूचना जारी कर दी। राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2021 को आगामी पंचायत चुनाव को 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर कराने की घोषणा की है। इसी के आधार पर चुनाव पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है।