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ग्राम पंचायतों के लोक सूचना अधिकारियों को नहीं पता आरटीआई कानून!

- पंचायतोें में सचिव हैैं लोक सूचना अधिकारी, लेकिन आरटीआई कानून में क्या है उनका अहम रोल नहीं जानते, पंचायतोें में खुद ही करते हैं जमकर भ्रष्टाचार, फिर जानकारी भी नहीं करवाते उपलब्ध

सीहोर-रेहटी। सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत सभी विभागोें में लोक सूचना अधिकारी तैनात किए गए हैं। इस कानून के तहत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में ग्राम पंचायतोें में यह जिम्मेदारी पंचायत सचिवों कोे दी गई है। लोक सूचना अधिकारी पंचायत सचिवों को बनाया जरूर गया है, लेकिन ज्यादातर ग्राम पंचायतोें केे सचिवों को सूचना का अधिकार अधिनियम कानून की जानकारी ही नहीं है। यह स्थिति सीहोर जिले में सबसे ज्यादा है। यहां पर बुधनी जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतोें के लोक सूचना अधिकारी (पंचायत सचिव) आरटीआई कानून के नियम ही नहीं जानतेे हैैं। इसके कारण वे इस कानून की महत्ता एवं जरूरत को नहीं समझते हैं और सूचना मांगने वालों को कोई जानकारी नहीं देते।
पंचायतोें का भ्रष्टाचार जग-जाहिर है। पंचायतोें मेें शासन की योजनाओं, निर्माण कार्योें सहित अन्य मदों में इनके जिम्मेदारों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जाता है। पंचायतोें मेें होने वाले विभिन्न कार्यों कोे लेकर जब कोई आवेदक या व्यक्ति इन पंचायतों से जानकारी मांगते हैैं तो यहां के लोक सूचना अधिकारी (पंचायत सचिव) न तोे आवेेदनों सेे संबंधित कोई पत्र व्यवहार करते हैं औैर न ही जानकारी उपलब्ध करवाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण पंचायतों के सचिव हैं, जो योजनाओें मेें पहले तोे जमकर गड़बड़ी करते हैं, पैसा खातेे हैैं, लेकिन जब जानकारी देने की नौबत आती है तोे वे टालमटोेल करते रहते हैैं। मजबूरीवश आवेदक को प्रथम अपील और फिर राज्य सूचना आयोग मेें अपील करनी पड़ती है।
अर्धन्यायिक होता है लोक सूचना अधिकारी का दायित्व-
सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत लोक सूचना अधिकारी का दायित्व अर्धन्यायिक होता है। इस कानून के तहत उन्हें न्यायालयीन शक्तियां प्राप्त होती हैं, लेकिन ये लोक सूचना अधिकारी ही इस कानून की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं। वे न तो आवेदक कोे सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी उपलब्ध कराते हैं औैर न ही उनसे कोई पत्र व्यवहार करते हैं।
प्रथम अपील में भी नहीं पहुंचे-
यहां बता देें कि पिछले दिनों बुधनी जनपद पंचायत केे तहत आने वाली ग्राम पंचायत आंवलीघाट के लोक सूचना अधिकारी प्रकाश दायमा, जहाजपुरा ग्राम पंचायत केे लोक सूचना अधिकारी अमर सिंह, ग्राम पंचायत नयागांव के लोक सूचना अधिकारी दयाराम मालवीय एवं बरखेड़ा ग्राम पंचायत के लोक सूचना अधिकारी श्रवण कुशवाह को प्रथम अपील के लिए जनपद पंचायत कार्यालय बुधनी में आने का पत्र जारी किया गया था। पत्र के माध्यम से उन्हें अपील में आने की सूचना दी गई थी, लेकिन इनमें से कोई भी लोक सूचना अधिकारी प्रथम अपील की सुनवाई में जनपद पंचायत कार्यालय बुदनी नहीं पहुंचा। जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 19 के तहत कानून में प्रथम एवं द्वितीय अपील में लोक सूचना अधिकारी की उपस्थित ही अनिवार्य है। इसमें अपीलार्थी की उपस्थिति स्वैच्छिक होती है। यदि कोई लोक सूचना अधिकारी प्रथम अपील में नहीं पहुंचता है तो यह बेहद गैरजिम्मेदाराना है। इसमें दंड धारा 20 के तहत दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान है।
इनका कहना है-
पंचायत स्तर पर जो लोक सूचना अधिकारी हैं उन्हें सूचना का अधिकार अधिनियम तो पता है, लेेकिन इसमें उनकी भूमिका क्या होनी चाहिए, इसका समुचित ज्ञान नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि लोक सूचना अधिकारी आरटीआई कानून को पढ़े, उसे समझे। इसकेे साथ ही शासन स्तर पर, जिला प्रशासन, जिला पंचायत द्वारा इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए, ताकि वे सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी उपलब्ध करा सकें। ज्यादातर विभागों के लोक सूचना अधिकारी सिर्फ अज्ञानता, कानून की निरक्षरता के कारण ही पैनल्टी भरते हैं।
– विजय मनोहर तिवारी, सूचना आयुक्त, राज्य सूचना आयोग, मध्यप्रदेश
ग्राम पंचायतोें में लोक सूचना अधिकारी सचिव हैं और वे प्रतिबद्ध हैं कि उन्हें इसकी जानकारी देनी होती हैै। इसकी जानकारी जिले के सभी सचिवों कोे है। यदि कोई सचिव कानून के बारे में नहीं जानता है तोे ऐसे सचिवों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि आरटीआई कानून का पालन कराया जा सके।
– हर्ष सिंह, सीईओ जिला पंचायत, सीहोर
सूचना का अधिकार कानून का पालन करना सभी लोक सूचना अधिकारियोें के लिए जरूरी है। इस कानून के तहत सभी को जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। यदि ब्लॉक की पंचायतों में जानकारी नहीं दी जा रही है तोे यह उचित नहीं है।
– जियालाल यादव, ब्लॉक अध्यक्ष, पंचायत सचिव संघ, बुधनी

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