आरजीपीवी: भवन निर्माण में 170 करोड़ रुपये का हुआ नियम विरूद्ध भुगतान
भोपाल
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) जैसे अजब विश्वविद्यालय का गजब मामला सामने आया है। यहां चल रहा भवन निर्माण कार्य 2008 से जो शुरू हुआ तो 2022 तक खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसके चलते कई शिकायतें निर्माण संबंधी कार्यों और पूर्व प्रभारी रजिस्ट्रार के संबंध में राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटा चुकी। नतीजा यह निकला कि सभी शिकायतों को लेकर 14 बिंदु पर जांच के लिए दल बैठाया गया। इस दल ने अपनी रिपोर्ट नवंबर 2021 में विभाग को सौंप दी लेकिन अब तक कोई उचित कार्रवाई विभाग ने करना उचित नहीं समझा।
दरअसल, जांच रिपोर्ट के अनुसार भवन निर्माण, अवैध नियुक्ति, नियम विरूद्ध भवन मरम्मत और खरीदी के मामले सहित 170 करोड़ स्र्पये का नियम विरूद्ध भुगतान पूर्व रजिस्ट्रार एसएस कुशवाहा ने अपने छोटे से कार्यकाल में कर दिया है। राजधानी परियोजना प्रशासन की तरफ से यह निर्माण किया जा रहा है। जांच रिपोर्ट में रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि भी हो गई हैं। वहीं विवि के सूत्रों के अनुसार कुलपति सुनील कुमार गुप्ता पर भी संलिप्तता के संकेत मिले हैं। दरअसल, आरजीपीवी में अनियमित्ताओं के चलते दो सदस्यीय जांच समिति बनाई गई थी। जिसमें तकनीकी शिक्षा संचालनालय के अतिरिक्त संचालक वित्त राकेश खरे और शासकीय इंजीनियरिेंग महाविद्यालय उज्जैन के प्राध्यापक डॉ एसके जैन को शामिल किया गया था। नवदुनिया के पास पूरी जांच रिपोर्ट उपलब्ध है। इस जांच रिपोर्ट में भवन निर्माण के आदेश जारी करना आश्चर्य का विषय बताया गया है। वहीं पुराने ही भवनों में लगातार पैसा जारी किया जाना नियमानुसार सहीं नहीं पाया गया। किसी भी भवन में पूर्व में प्रदाय प्राकक्लन में क्या-क्या कमियां है। इसको कहीं पर भी नहीं दर्शाया गया है। साथ ही किए गए कार्यों का सत्यापन भी किसके द्वारा किया गया है यह किसी भी दस्तावेज से स्पष्ट न होना बताया गया है। कार्य ड्राईंग और डिजाईन के अनुरूप है इसका सत्यापन भी नहीं करवाया गया है। शिकायकर्ता अंकित पचौरी ने अपनी शिकायत में इस बात का जिक्र किया है। हैरत की बात तो यह है कि भवन निर्माण कार्य इतना खराब हुआ है कि दीवारों व पिलर में अभी से दरारें पड़ गई है। टेंडर, डीपीआर, एस्टिमेट के बगैर ही भुगतान किया जा रहा हैं।
– पूर्व प्रभारी रजिस्ट्रार की फिर हुई शिकायत, आयुक्त ने जांच के लिए पैनल मांगा
बता दें कि पूर्व प्रभारी रजिस्ट्रार एसएस कुशवाहा की हाल ही में एक शिकायत सीएम हेल्पलाइन में दर्ज कराई गई है। इसके आधार पर आयुक्त तकनीकी शिक्षा विभाग से जांच पैनल मांगा गया है। इधर, पूर्व रजिस्ट्रार के खिलाफ हुई जांच में सभी बिंदुओं पर उन्हें दोषी बताया गया है। बता दें कि एसएस कुशवाहा ने 2014-15 में क्रिएटिव स्पेस प्राइवेट लिमिटेड नामक वेंडर के नाम 60 लाख स्र्पये का भुगतान कर दिया। यह भुगतान फर्नीचर खरीदने के नाम पर किया गया था, लेकिन विवि में कोई फर्नीचर खरीदी और प्राप्ती का कोई रिकार्ड नहीं है।
इन मामलों में भी पाए गए दोषी
– संविदा शिक्षकों को वेतनमान 37500 रुपये व 40 हजार जनवरी 2020 से प्रदान किया गया। जबकि पूर्व में हुई कार्यपरिषद की बैठक में स्पष्ट किया गया था कि इन्हें इतने वेतनमान में नहीं रखा जा सकता हैं। जबकि यह मामला आज तक हाईकोर्ट में निराकरण के लिए लंबित है।
– 2016 में पूर्व रजिस्ट्रार एसएस कुशवाहा को सात लाख 56 हजार छह रुपये से अधिक का भुगतान टेस्टिंग और कंसलटेंसी के नाम पर हुआ है। एक वर्ष में इतना अधिक भुगतान शासन के नियमों के विरूद्ध पाया गया है।
– लैबटाप खरीदी में भी अनियमित्ता की गई है। क्योकि पावती में लैपटाप के सत्यापन की रिपोर्ट में माडल ही परिवर्तित कर दिया गया है।
– एक ही टेंडर में दे दिया केफेटेरिया, अतिथि गृह रसोई गृह के संचालन की जिम्मेदारी
मेरे रजिस्ट्रार रहने से पहले जांच समिति के सदस्य डॉ एसके जैन खुद यहां रजिस्ट्रार रहे हैं। सीपीए को विवि से भुगतान करने के लिए कार्यपरिषद और विवि के कुलपति की अनुमति भी ली गई थी। सभी की प्रशासकीय अनुमति के बाद सीपीए जो कि एक सरकारी एजेंसी है उसे भुगतान किया गया है। इसमें मैने कोई अनियमित्ता नहीं की।
एसएस कुशवाहा, पूर्व रजिस्ट्रार, आरजीपीवी
संचालनालय से जांच कराई गई है तो इसकी जांच रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। जांच में जो भी दोषी पाया गया है उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी। इसकी तैयारियां चल रही है। मैं पता करता हूं कि रिपोर्ट में क्या आया हैंं
आकाश त्रिपाठी, आयुक्त तकनीकी शिक्षा विभाग