भोपालमध्य प्रदेश

उज्जैन में 100 एकड़ जमीन पर बनेगा आईआईटी इंदौर का सेटेलाइट कैंपस :मंत्री डॉ. मोहन यादव

भोपाल
 उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्राचीन वैभवशाली ज्ञान परंपरा के अनुरूप मालवा क्षेत्र के उज्जैन को प्रौद्योगिकी और ज्ञान-विज्ञान के एक प्रमुख शिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत उज्जैन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर का सेटेलाइट कैंपस खोला जाएगा। 100 एकड़ भूमि पर स्थापित यह कैंपस अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध केंद्र और मानकों के अनुरूप उच्च शिक्षा प्रदान करेगा। अपनी तरह का यह देश का पहला शिक्षण संस्थान होगा। रोजगार और स्व-रोजगार के प्रोत्साहन में भी यह कैंपस महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

डॉ. यादव ने बताया कि हाल ही केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार से उज्जैन की खगोल विज्ञान, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान की विरासत को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षण संस्थान खोले जाने की आवश्यकता पर चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि आईआईटी इंदौर ने सेटेलाइट कैंपस की स्थापना के लिए प्रारंभिक डीपीआर तैयार की है।

 

उनके अनुसार यह कैंपस हर दृष्टि से पूर्ण होगा और प्रशासनिक, अकादमिक निर्णय के लिए स्वतंत्र होगा। कैंपस में छात्रावास और शिक्षकों के लिए आवास भी होंगे। यहाँ अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध सुविधाएँ एवं पाठ्यक्रम संचालित किये जाएंगे। कैंपस में उज्जैन-इंदौर की औद्योगिक इकाइयों के लिए रिसर्च का कार्य भी किया जायेगा। प्रारंभिक चरण में चार राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण केंद्र और इंडस्ट्रियल रिसर्च पार्क खोले जाने का प्रस्ताव भी है।

 

आईआईटी इंदौर इंडस्ट्रियल रिसर्च पार्क

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने बताया कि यह रिसर्च पार्क इंदौर-उज्जैन और आसपास के सभी क्षेत्रों की औद्योगिक इकाई को शोध कार्य में मदद करेगा। साथ ही स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करेगा। इसे टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन हब के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिसमें 100-150 अधिक कंपनियों को जोड़ा जाएगा। अभी आईआईटी चेन्नई और मुंबई में ऐसे ही रिसर्च पार्क कार्य कर रहे हैं। मालवा क्षेत्र में रोजगार और स्व-रोजगार निर्माण की दिशा में इंडस्ट्रियल रिसर्च पार्क की अहम् भूमिका होगी। स्पोर्ट्स साइंस में स्पोर्ट्स में उपयोग की जाने वाली डिवाइसेज और इक्विपमेंट पर भी यहाँ रिसर्च करना प्रस्तावित है।

सेंटर फॉर वॉटर

उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि जल संसाधन प्रबंधन के लिए यह एक महत्वपूर्ण केंद्र होगा। जहाँ जल के सम्बन्ध में शैक्षणिक गतिविधियों के साथ जल संसाधन पर शोध कार्य किया जाएगा। वाटर मैनेजमेंट पर आधारित पाठ्यक्रम भी संचालित किये जाएगें। मध्यप्रदेश में वॉटर कंजर्वेशन तकनीक को बढ़ाने और जल से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रमों को तैयार करने में केंद्र मदद करेगा। अपनी तरह का यह देश का पहला केंद्र होगा।

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