भोपाल / सीहोर.
तीन वर्षों से रिक्त पड़े निगम-मंडल और आयोगों मेें सरकार ने अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों की नियुक्तियां कर दीं। शुक्रवार को हुई राजनीतिक नियुक्तियों में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेताओं को सबसे ज्यादा जगह दी गई है। ये सभी वे नेता हैं, जो 2018 के विधानसभा चुनाव में तो जीते थे, लेकिन भाजपा में आने के बाद 28 सीटों पर हुए उपचुनावों में इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा संगठन में काम करने वाले भाजपा नेताओं को भी निगम-मंडलों में एडजस्ट किया गया है। इस बार सीहोर जिले से आदिवासी महिला नेत्री निर्मला बारेला को जगह दी गई है। उन्हें मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। वे सीहोर जिले की भाजपा उपाध्यक्ष भी हैं।
शुक्रवार को सरकार ने निगम-मंडल और आयोगों में रिक्त पड़े अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां कर दीं। जारी सूची के अनुसार सरकार ने 25 राजनीतिक नियुक्तियां की हैं। इनमें सबसे ज्यादा उन नेताओं को एडजस्ट किया गया है, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे, लेकिन उपचुनाव में हार गए। नाम नहीं छापने की शर्त पर भाजपा के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि ये नियुक्तियां बहुत पहले ही हो जाती, लेकिन सिंधिया खेमे के ज्यादा से ज्यादा लोगों को निगम-मंडलों में एडजस्ट करने के लिए अब तक इसे टाला जाता रहा। हालांकि वे ये भी कहते हैं कि इसके कारण भाजपा के कई ऐसे नेता जो वर्षों से पार्टी के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक पद नहीं दिए गए हैं। वे जरूर नाराज होंगे, क्योंकि इन पदों पर पहले उनका अधिकार था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
इनकी लग गई लॉटरी-
सीहोर-बुधनी के नेताओं को नहीं मिला स्थान-
पिछले 15 वर्षों में निगम-मंडलों में बुधनी विधानसभा सहित सीहोर जिले के नेताओं को अच्छा स्थान मिलता रहा है, लेकिन इस बार बुधनी विधानसभा सहित सीहोर जिले के नेताओं को निराशा ही हाथ लगी है। कई भाजपा नेता उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें निगम-मंडलों में कोई स्थान दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिले से पहले शिव चौबे को सामान्य निर्धन कल्याण आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था और अब निर्मला बारेला को मप्र अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इससे पहले हमेशा 5 से अधिक निगम-मंडल आयोगों में सीहोर एवं बुधनी विधानसभा के नेताओं कोे स्थान दिया जाता था, लेकिन इस बार किसी को भी मौका नहीं दिया गया। इस बार राजनीतिक नियुक्तियों में ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमा ही सबसे ज्यादा स्थान पाने में सफल रहा है। उनके अलावा इस बार भाजपा संगठन से जुड़े नेताओें को भी निगम-मंडलों में स्थान दिया गया है।