जबलपुरमध्य प्रदेश

5 माह का वेतन और 44 माह का पीएफ न मिलने से सुरक्षाकर्मी बैठे धरने पर

शहडोल
 वेतन नहीं मिलने से नाराज महिला सुरक्षाकर्मियों का आक्रोश फूट पड़ा है। वे अस्पताल में पहरा देना छोड़कर सड़क पर बैठकर धरना दे रही हैं, उनका कहना है लंबे समय से पैसा नहीं मिला है। ऐसे में हम आत्महत्या कर लें या बाजार में जाएं, समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन जिम्मेदार लोग हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है।

जिला अस्पताल में आउटसोर्स कर्मचारियों के पीएफ कटौती में हेरफेर का मुद्दा अब जोर पकड़ लिया है। जिला चिकित्सालय में 45 महीनों से कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों को 5 माह से वेतन और 44 माह का पीएफ की राशि न मिलने से अब उनको रोजी रोटी के संकट आ गये है। आउटसोर्स कर्मचारी ने अस्पताल परिसर पर धरना में बैठ गए हैं। कर्मचारियों ने मांग की है कि पीएफ कटौती मामले में अधिकारियों से निष्पक्ष जांच कराएं। कर्मचारियों ने बताया कि जब अपने हक की बात व पीएफ की बात कंपनी व प्रबंधन से की जाती है तो कर्मचारियोंं को काम से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। बीते माह अस्पताल में वार्ड वॉय के पद पर कार्यरत एक कर्मचारी को पीएफ की मांग किये जाने पर अस्पताल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। जिसकी शिकायत पीडि़त कर्मचारी ने जिला के आला अधिकारी से की थी जिसकी कार्यवाही प्रशासन द्वारा कराई जा रही है। श्रम आयुक्त ने भी मामले में संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू की है।

44 माह का पीएफ बकाया
कंपनी के कर्मचारियों ने शुक्रवार से तीन दिवसीय धरना अस्पताल परिसर पर शुरू कर दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि वह सिक्योरिटी के काम मे 45 माह से अपनी सेवाएं दे रहे हंै। कंपनी के द्वारा काम मे रखने से पहले वादा किया गया था कि सभी कर्मचारियों को पीएफ दिया जाएगा लेकिन बीते 44 माह से आज तक पीएफ व इएसआई की राशि नहीं दी गई। कंपनी द्वारा कर्मचारियों को गुमराह किया जा रहा है। हक की आवाज उठाने पर कार्रवाई की धमकी दी जातीहै।

5 माह का वेतन रोका
आउटसोर्स कर्मचारियों ने बताया है कि कंपनी के द्वारा बीते पांच माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया। जिसके चलते अब उनके सामने रोजी-रोटी के संकट आ चुके है। कर्मचारियों ने कहा है कि पांच से छह हजार रुपये कंपनी द्वारा दिया जाता है वह भी पंाच माह से नहीं मिला है। जिसके चलते अब परिवार चलाने में दिक्कत हो रही है। कर्मचारी तीन दिवसीय सामूहिक हड़ताल पर है व तीन दिवस के अंदर मांग पूरी व कंपनी पर कार्यवाही न होने पर व 21 फरवरी से भूख हड़ताल के लिए बाध्य होगें। एक सप्ताह में भी कार्यवाही नहीं की गई और पीएफ कटौती की जांच नहीं हुई तो कलेक्ट्रेट कार्यलय के सामने परिवार सहित भूख हड़ताल में बैठ जाएंगे।

इस तरह कर रहे थे गड़बड़ी
कंपनी द्वारा जिला अस्पताल में कर्मचारियों को नियुक्त किया था जिसमें लगभग 43 कर्मचारी ठेके दार के अण्डर में काम कर रहे थे। वहीं कंपनी ने इस शर्त पर कर्मचारी की नियुक्ति की थी की वह उनका पीएफ राशि काटेगी और उनके अकाउण्ट पर भेज देगी जिसके लिये कंपनी सभी कर्मचारियों यूएएन नंबर भी जारी किया था। पर दो वर्ष बीत जाने के बाद जब कर्मचारी सुनील गुप्ता ने पीएफ की राशि मांगा तो उसे काम से निकाल दिया गया था। जिसके बाद उक्त कर्मचारी ने जिले से लेकर राजधानी तक शिकायत कर दिया। शिकायत करने पर अस्पताल के स्टीवर्ड व ठेका कंपनी के सुपर वाइजर के द्वारा सुनील को शिकायत वापस लेने की बात करते हुए अस्पताल के आस-पास न दिखने की धमकी तक दे दी गई थी। इसके अलावा कंपनी के द्वारा गलत जानकारी दिया गया कंंपनी ने कर्मचारियों के खाते में 6500 रुपये पेमेंट दिया जाता था जबकी कंपनी के द्वारा बनाये गये सैलरी स्लिप में 7000 रुपये दर्शाया गया है जो पूरी तरह से गलत है कर्मचारियों ने कहा है कि कभी हमें 7000 रुपये पेमेंट मिला ही नहीं है। इसी तरह कंपनी ने इपीएफ में भी गलत जानकारी दिया है।

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