इंदौरमध्य प्रदेश

वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री अभय छजलानी का निधन, अंतिम संस्कार आज

इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री अभय छजलानी का गुरुवार अल सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। आज शाम 5 बजे पंचकुइया मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन का समाचार मिलते ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा, वरिष्ठ पत्रकार अभय छजलानी जी की पत्नी और विनय छजलानी जी की माता श्रीमती पुष्पा छजलानी जी के निधन की खबर दुखद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर अपने श्री चरणों में स्थान दें। शोकाकुल परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। ।। ॐ शांति ।।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, पत्रकारिता जगत की विशिष्ट पहचान पद्मश्री अभय छजलानी जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ है। मैं दिवंगत आत्मा की शांति एवं परिजनों को यह असीम दुख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। हिन्दी पत्रकारिता के आधारस्तंभ छजलानी जी हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। “भावपूर्ण नमन”

परिवार को दोहरा आघात

छजलानी परिवार को एक और आघात। स्वर्गीय विमल छजलानी की पत्नी का भी आज सुबह भोपाल में निधन हो गया। अंतिम संस्कार आज शाम 5:00 बजे इंदौर में ही होगा।

2009 में पद्म श्री से किया गया सम्मानित

4 अगस्त 1934 को इंदौर में जन्मे छजलानी ने 1955 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया। भारत सरकार ने उन्हें पत्रकारिता में योगदान के लिए 2009 में पद्म श्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था।

छजलानी भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं। वे 1988, 1989 और 1994 में संगठन के अध्यक्ष रहे। वे इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आईएनएस) के 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष रहे। 2004 में भारतीय प्रेस परिषद के लिए मनोनीत किए गए, जिसका कार्यकाल 3 वर्ष रहा। उन्हें 1986 का पहला श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया।

वर्ष 1965 में उन्होंने पत्रकारिता के विश्व प्रमुख संस्थान थॉम्सन फाउंडेशन, कार्डिफ (यूके) से स्नातक की उपाधि ली। हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र से इस प्रशिक्षण के लिए चुने जाने वाले वे पहले पत्रकार थे। अभय छजलानी ने शहर के कई प्रमुख मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था। इसके साथ ही वह खेलों से भी जुड़े रहे। लंबे समय तक वह मध्यप्रदेश टेबल टेनिस संगठन के अध्यक्ष रहे और फिर आजीवन अध्यक्ष पद पर रहे।

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