समग्र शिक्षा अभियान तहत14 स्कूलों में स्मार्ट क्लास जल्द
रतलाम
जिले के 14 हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों के बच्चे निजी स्कूलों की तर्ज पर स्मार्ट क्लास में पढ़ सकेंगे। कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासों का सिस्टम शुरू होने के बाद सरकार भी स्मार्ट क्लास पर जोर दे रही है। इसी क्रम में समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत इन 14 स्कूलों में स्मार्ट क्लास लगाने की स्वीकृति देते हुए सामग्री खरीदने के लिए भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हर स्कूल में दो-दो क्लासें स्मार्ट कक्षा के रूप में तैयार की जाएंगी।
कोरोना काल में हुआ बच्चों का नुकसान
कोरोना काल में स्कूल पूरी तरह बंद कर दिए गए जिससे बच्चों का पढ़ाई में काफी नुकसान हुआ है। इस नुकसान को देखते हुए सरकार ने पहले चरण में प्रदेश के 700 हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों का स्मार्ट क्लास का चयन किया है। इन स्कूलों में एलईडी टीवी और स्मार्ट क्लास के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई कराई जाएगी। आगामी सत्र में कमोबेश प्रदेश में इतने और स्कूलों को इस योजना में शामिल किया जाएगा।
ये होगा स्मार्ट क्लास में
स्मार्ट क्लास में ग्रीन बोर्ड के साथ ही डिजिटल उपकरण लगाए जाएंगे। साथ ही लैपटाप पर शिक्षण सामग्री रखी जाएगी और डिस्प्ले के माध्यम से इन बोर्ड पर बच्चों की पढ़ाई कराई जाएगी। ये बोर्ड स्मार्ट या एंड्रोइड मोबाइल फोन से भी कनेक्ट रहेंगे जिससे बच्चों को ऑनलाइन इसका फायदा मिल सकेगा। स्मार्ट क्लास के लिए शिक्षकों को जिला स्तर पर विभिन्न चरणों में विधिवत प्रशिक्षण दिया जाकर तैयार किया जाएगा।
ये हैं चयनीत स्कूल
स्मार्ट क्लास के लिए चयनीत स्कूलों में हायर सेकंडरी खजूरी देवड़ा, माधोपुर, राजापुरा माताजी, असावती, मावता, कन्या उमावि पिपलौदा, मूंदड़ी, नगरा, लुनेरा, भाटी बडौदिया, पिपलखूंटा, माडल स्कूल सैलाना और बेड़दा के अलावा हाईस्कूल इसरथुनी हैं। इन स्कूलों में से प्रत्येक स्कूल में दो-दो कक्षाओं को डिजिटल उपकरण लगाकर स्मार्ट क्लास के रूप में विकसित करके बच्चों की पढ़ाई को सुगम बनाया जाएगा।
सामग्री की गुणवत्ता पर खास जोर
खरीदी जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता पर खास जोर दिया गया है। आमतौर पर सरकारी खरीदी महंगी तो होती है लेकिन गुणवत्ता नहीं होती है। इस बार इस पर ही जोर दिया गया है। खरीदी गई सामग्री का भौतिक सत्यापन करने के लिए जिले और विकासखंडों में समितियां गठित करके उनमें तकनीकी जानकार भी रखे जाएंगे। उपकरणों के लिए मापदंड भी भोपाल से ही तय करके पत्र के साथ भेजे गए हैं कि क्या-क्या होना चाहिए।