जबलपुरमध्य प्रदेश

प्रदेश के पहले डेयरी स्टेट का लोकार्पण आज

जबलपुर

पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेमसिंह पटेल और लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव 24 फरवरी को जबलपुर जिले के ग्राम खम्हरिया में प्रदेश की पहली डेयरी स्टेट का लोकार्पण करेंगे। मध्यप्रदेश गौ-पालन एवं गौ-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्‍वरानन्द गिरि, अध्यक्ष राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम जसमंत जाटव, विधायक द्वय अजय विश्नोई एवं सुशील कुमार तिवारी और अपर मुख्य सचिव पशुपालन एवं डेयरी जे.एन. कंसोटिया भी कार्यक्रम में शामिल होंगे।

स्वामी अखिलेश्‍वरानन्द गिरि ने बताया कि डेयरी स्टेट से पशुपालकों को एक ही स्थान पर सभी मूलभूत सुविधाएँ मिलेंगी। इससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होने के साथ दुग्ध व्यवसाय को असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र में शामिल किया जा सकेगा, जिसका सीधा लाभ पशुपालकों को मिलेगा।

इंडस्ट्रियल स्टेट की तर्ज पर डेयरी स्टेट का विकास

प्रबंध संचालक राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम डॉ. एच.बी.एस. भदौरिया ने बताया कि इंडस्ट्रियल स्टेट की तर्ज पर विकसित होने वाली प्रदेश की इस पहली डेयरी स्टेट में डेयरी संचालकों को प्लॉट सहित सभी मूलभूत सुविधाएँ एक ही स्थान पर मिलेंगी। डेयरी स्टेट में जबलपुर जिले के डेयरी विस्थापितों के साथ नये डेयरी उद्यमियों को भी प्लॉट दिये जायेंगे।

70 प्लॉट के विरूद्ध 146 आवेदन प्राप्त

डॉ. भदौरिया ने बताया कि डेयरी स्टेट में उपलब्ध 70 भूखंड आवंटन के लिये ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये गये थे। अब तक 146 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। भूखंड आवंटन लॉटरी पद्धति द्वारा किया जाएगा।

डेयरी उद्योग के लिये सभी सुविधाएँ हैं मौजूद

डेयरी स्टेट में सड़क, 33 के.व्ही. विद्युत स्टेशन, पानी की उपलब्धता, पशु चिकित्सालय, कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र, रोग अनुसंधान प्रयोगशाला, चारा एवं दाना गोदाम, बायो गैस संयंत्र, आरसीसी ड्रेनेज कैनाल आदि अधो-संरचनाओं का विकास किया गया है। दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को तकनीकी मार्गदर्शन के साथ पशु चिकित्सा, कृत्रिम गर्भाधान और रोग परीक्षण प्रयोगशाला की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

डेयरी स्टेट में दो पशु चिकित्सालय

डेयरी स्टेट में पशुओं की चिकित्सा के लिये 2 अस्पताल बनाए गए हैं, जिनमें डॉक्टर और कंपाउंडर सहित स्टाफ की नियुक्ति की गई है। पशु चिकित्सक और स्टाफ की सुगम उपलब्धता के लिये इनके आवास भी परिसर में बनाये गये हैं। जल व्यवस्था के लिये 4 ट्यूबवेल का खनन किया गया है और 2-2 लाख लीटर के ओवरहेड टेंक बनाये गये हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button