आबकारी के मुख्यालय भवन के निर्माण के लिए सरकार नहीं दे पा रही 18 करोड़ रुपए
ग्वालियर। सूबे के सबसे कमाऊ विभागों की फेहिरस्त में आबकारी महकमा का नाम दर्ज है। यह विभाग साल में दस हजार करोड़ रुपए से अधिक राजस्व जुटाकर सरकार के खजाने में जमा कर रहा है। वावजूद इससे राज्य सरकार द्वारा इस विभाग की जरूरतों की पूर्ति नहीं की जा रही। चौंकाने वाली बात यह है कि आबकारी महकमा के पास अपने मुख्यालय के लिए खुद का ठिकाना नहीं है। मोतीमहल से दफ्तर खाली करना है। मुख्यालय के नए भवन के निर्माण के लिए वर्ष 2013 से विभाग द्वारा सरकार से 18 करोड़ रुपए मांगे जा रहे हैं। मगर विभाग के इस प्रस्ताव को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल रखा है।
बता दें कि आबकारी मुख्यालय के लिए शासन द्वारा ठाटीपुर में चंबल गेस्ट हाउस के पास भूमि उपलब्ध कराई गई है। इस पर निर्माण का प्रस्ताव वर्ष 2013 में तैयार कर लिया गया। पीआईयू को निर्माण करना है। भवन का लेआउट स्वीकृत हो गया। उस समय निर्माण कार्य पर 18 करोड़ रुपए खर्च होने का प्रस्ताव तैयार हुआ था। यह बजट राशि उपलब्ध कराने के लिए आबकारी विभाग ने राज्य शासन को पूरे प्रस्ताव के साथ डिमांड भेजी। शासन स्तर पर इसे ठंडे बस्ते में पटक दिया गया। वर्ष 2013 से लेकर कई स्मरण पत्र इस संबंध में शासन को भेजे जा चुके हैं,मगर आबकारी मुख्यालय के नए भवन के लिए बजट राशि उपलब्ध नहीं कराई जा रही। वर्षों से मुख्यालय मोतीमहल में चल रहा है,जहां से अब इसे खाली करना है। सरकार की उपेक्षा की वजह से अब मुख्यालय के अधिकारी और कर्मचारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि मोतीमहल से दफ्तर खाली कर वे कहां जाएं। खुद का भवन बन चुका होता तो ऐसी नौबत नहीं आती। मुख्यालय को शिफ्ट करने जितनी जगह चाहिए उतनी किराए पर भी आसानी से नहीं मिल रही है।