भोपालमध्य प्रदेश

जमीन की नई कलेक्टर गाइडलाइन देगी आमजन को झटका

भोपाल। कम दाम पर प्रापर्टी खरीदकर रजिस्ट्री में उसकी कीमत अधिक बताकर बैंक लोन या अन्य सुविधाएं लेने वाले लोगों को राज्य सरकार की जमीन संबंधी नई कलेक्टर गाइडलाइन झटका देने वाली है। सरकार ने हायर वैल्यू में कराए जाने वाले रजिस्ट्रेशन से जुड़ी लोकेशन की जमीन, भवन की कीमतों में उतनी की कीमत बढ़ाने के निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं जितनी कीमत पर रजिस्ट्री कराई गई है।

पंजीयन विभाग द्वारा कलेक्टरों को दिए निर्देश में कहा गया है कि जिलों में जिन इलाकों में 20 प्रतिशत या उससे अधिक रजिस्ट्री मौजूदा गाइडलाइन से अधिक कीमत पर कराई गई है, वहां भूमि और भवन की कीमत का निर्धारण नए सिरे से किया जाएगा। मसलन अगर किसी इलाके में 200 प्रतिशत से अधिक रजिस्ट्री मौजूदा कलेक्टर गाइडलाइन से अधिक कीमत पर कराई गई है तो वहां जमीन और भवन की कीमत में वृद्धि 100 फीसदी की जा सकेगी। इसी तरह जहां 100 से 200 प्रतिशत मामले गाइडलाइन में तय दर से अधिक वाले हैं, वहां पर वर्ष 2022-23 के लिए तय होने वाले नए दाम 50 प्रतिशत तक बढ़ाए जा सकेंगे। इसी तरह 50 से 100 प्रतिशत अधिक कीमत पर हुई रजिस्ट्री के मामलों में संबंधित क्षेत्र में प्रस्तावित कीमत का दायरा 30 प्रतिशत तक बढ़ेगा जबकि कलेक्टर गाइडलाइन से 50 प्रतिशत अधिक कीमत पर रजिस्ट्री कराने वाले क्षेत्रों में 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जा सकेगी। विभाग ने कहा है कि जहां 20 प्रतिशत से कम रजिस्ट्री मौजूदा गाइडलाइन से अधिक कीमत पर कराई गई है, उसमें जमीन के दाम में 20 प्रतिशत या उससे कम की वृद्धि की जा सकेगी।

25 फरवरी तक बुलाई रिपोर्ट
विभाग ने यह भी कहा है कि जहां कलेक्टर गाइडलाइन में तय कीमत से अधिक दर पर रजिस्ट्री नहीं हुई हैं, वहां दस फीसदी तक ही कीमत बढ़ाई जा सकेगी। पंजीयन महकमे ने कलेक्टरों से इस पूरे मामले में रिपोर्ट 25 फरवरी तक भेजने को कहा है और इसके पहले जिला मूल्यांकन समिति की बैठकों के जरिये कीमतों का निर्धारण करने के लिए कहा है। इसमें यह निर्देश भी दिए गए हैं कि सम्पूर्ण सीमा में 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र में प्रापर्टी की कीमत न बढ़ाई जाए।  

जहां पांच साल में रजिस्ट्री नहीं वहां घटाएंगे कीमत
वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जारी निर्देशों में निवेशकों और खरीददारों की स्थिति को देखते हुए दाम बढ़ाने के साथ घटाने के लिए भी निर्देशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि जिन इलाकों में रजिस्टर्ड दस्तावेजों का आंकड़ा पांच साल में न के बराबर है या नहीं हुआ है वहां प्रापर्टी की नई कीमत 20 फीसदी तक घटाई जा सकेगी। चार वर्ष की स्थिति के आधार पर 15 प्रतिशत, तीन वर्ष की स्थिति के आधार पर 10 प्रतिशत और दो साल की स्थिति में रजिस्ट्री न होने या नगण्य होने की स्थिति में मौजूदा कलेक्टर गाइडलाइन में तय कीमत से पांच फीसदी तक कम दाम तय किए सकेंगे।

इन मापदंडों का ध्यान रखेंगे अफसर
विभाग द्वारा प्रचलित निवेश क्षेत्र के विस्तार, नवीन निवेश क्षेत्र या निवेश की संभावनाओं वाले क्षेत्र के आधार पर भी कीमतें तय करने के लिए कहा गया है। साथ ही कृषि आधारित क्षेत्र में गैर कृषि प्रयोजन के विस्तार को भी प्रापर्टी की कीमत तय करते वक्त ध्यान में रखा जाएगा। इसमें नवीन आवासीय परियोजनाएं, व्यवसायिक परियोजनाएं, अस्पताल, नवीन शिक्षण संस्थाएं जैसे यूनिवर्सिटी, स्कूल आदि, नवीन औद्योगिक क्षेत्र या मौजूदा औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार, सड़क, रेल, एयरपोर्ट का बनना या विस्तार, मंडी, स्मार्ट सिटी आदि लोकेशन को प्राथमिकता में रखकर कीमतें तय की जाएंगी।

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