यूक्रेन से लौटे स्टूडेंट को सता रही डिग्री की चिंता
ग्वालियर
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच फंसे भारतीय स्टूडेंट्स भारत लौटने लगे है। ग्वालियर के निखिल गुरुवार को अपने घर लौट आए। बेटे के सुरक्षित लौटने पर जहां परिवार में खुशी का माहौल है। वहीं उन्हें अब उसकी पढ़ाई और डिग्री की चिंता भी सता रही है।
निखिल का कहना है कि फिलहाल यूनिवर्सिटी ने 12 मार्च तक वैकेशन दिया है, मगर इसके आगे क्या होगा उन्हें नहीं पता। वे इस बात को सोचने में भी डर रहे है कि पांच साल से यूक्रेन में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं वह डिग्री उन्हें मिलेगी या नहीं। वहीं दूसरी तरफ निखिल की मां ने भी सरकार से गुहार लगाई है कि वह इस मामले में कुछ निर्णय ले और हो सके तो स्टूडेंट्स को यहीं उनकी डिग्री पूरा करने का मौका दे।
निखिल ने कहा हमें डिग्री के बारे में सोचकर भी डर लग रहा है। क्योंकि मैं 3 ईयर का मेडिकल स्टूडेंट हूं। लिवानो फ्रांकिज से मैंने 3 ईयर पूरे कर लिए है। हम स्टूडेंट्स को डर लगा है कि कल से कुछ होता है तो हमारे पास कोई बैकअप प्लान नहीं है कि हम करेंगे क्या? क्योंकि हमने हमारे जीवन के तीन साल वहां दिए है और इतनी मेहनत से पढ़ाई की है। अब अगर ऐसा कुछ होता है तो हम हमारी लाइफ में कुछ भी नहीं कर सकते हैं। ये सोचकर भी डर लगता है बस प्रार्थना कर रहे हैं कि सब ठीक हो जाए तो फिर से यूनिवर्सिटी जाकर पढ़ाई शुरू कर सकें। यूनिवर्सिटी ने सिर्फ 12 मार्च की क्लासेस को वैकेशन में बदल दिया है।
सरकार से यही उम्मीद है कि यदि कुछ होता है तो प्लीज सरकार हमारे लिए कुछ इंतजाम करे क्योंकि हम इतने साल, इतनी मेहनत करके गए हैं। हमारे माता-पिता का काफी पैसा भी लगा है। हर चीज हमने वहां दी है। इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। दो देशों में लड़ाई हुई और हम स्टूडेंट्स को वहां से आना पड़ा।
हम मजबूरी में यूक्रेन गए, सरकार भी जिम्मेदार
हम स्टूडेंट्स के जाने का कारण भी इंडियन गवर्नमेंट थी। क्योंकि हम यहां नीट की प्रीप्ररेशन करते हैं, लेकिन कई लोग रिजर्वेशन और कोटा के लिए चले जाते हैं। हम चाहते हैं इंडिया में आएं। इंडिया में प्रैक्टिस करें, इंडिया का नाम रोशन करें। क्योंकि हम खुद चाहते हैं हमारा देश आगे बढ़े। देश को डॉक्टर की बहुत जरूरत है।
निखिल की मम्मी ने कहा- आज बहुत खुशी हो रही है। बेटे को सामने पाकर, सभी की दुआओं से मेरा बेटा वापस आया है। मैं यहीं चाहती हूं की हिंदुस्तान के सभी बच्चे वापस आ जाए। जैसे मैं आज खुश हो रही हूं वैसे सभी बच्चों की मां खुश हो जाए। हालांकि अब चिंता हो रही है। बेटे ने वहां 3 साल पढ़ाई की है वह भी माइनस 18 के तापमान में, बर्फबारी में। अब मैं उसके भविष्य को लेकर चिंतित हूं कि अब आगे क्या होगा। मैं यह चाहती हूं कि गवर्नमेंट कुछ करें। क्योंकि मैं अब दोबारा अपने बेटे को उस देश नहीं जाने दूंगी। यह भी चिंता है कि बेटा अब क्या करें। इसलिए सरकार कुछ ऐसा करे कि, जो बच्चे लौटे हैं वे यहीं पढ़कर डिग्री ले लें। बच्चों ने जो तपस्या की है, समय दिया है उसका पॉजिटिव परिणाम मिले। बस यही गुजारिश है कि बच्चों के इंडिया में ही डिग्री मिल जाए।
गुरुवार को निखिल, हर्षाली और शांतनु बामनगया के लौटने पर परिवार ने घर पर जोरदार स्वागत किया। परिवार में कुछ भावुक पल भी देखने को मिले। परिवार का यहीं कहना है कि सभी की दुआ से बच्चे सकुशल लौट आए।