1952 से 2019 तक हुए लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा और सबसे कम वोटों से जीते ये प्रत्याशी
भोपाल। वर्ष 1952 से 2019 तक हुए लोकसभा के आम चुनावों में यूं तो कई रिकार्ड ध्वस्त हुए। इस दौरान जहां सबसे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कराकर कोई सांसद बना तो किसी के नाम सबसे कम वोटों से जीत का रिकार्ड भी दर्ज है। ऐसे सांसदों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल है तो वहीं कई निर्दलीय भी हैं, जिन्होंने ये उपलब्धि हासिल की है। आइए जानते हैं ऐसे ही चुनावों के बारे में, जिनमें रिकार्ड बने।
– 1952 लोक सभा में बस्तर के निर्दलीय उम्मीदवार मुचकी कोसा सबसे ज्यादा 1,41,331 मतों से विजयी हुए थे। कोंताई पश्चिम बंगाल सीट से कांग्रेस के रूपकुमार सिर्फ 127 वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे।
– 1962 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने के मामले में स्वतंत्र पार्टी की गायत्री देवी ने राजस्थान के जयपुर से एक लाख 57 हजार 692 वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं, इन्हीं इलेक्शन में सोशलिस्ट उम्मीदवार रिशांग सबसे कम 42 मतों से जीतने वाले उम्मीदवार थे। वह मणिपुर की आउटर मणिपुर सीट से सांसद चुने गए थे।
– 1967 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा एक लाख 93 हजार 816 मतों से निर्दलीय उम्मीदवार के सिंह ने जीत दर्ज कराई थी। वह राजस्थान के बीकानेर से सांसद बने थे। इस चुनाव में कांग्रेस के एम राम ने हरियाणा के करनाल से 203 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।
– 1971 में कांग्रेस के एमएस संजीवी राव ने आंध्रप्रदेश के काकीनाडा से सबसे ज्यादा 2,92,926 मतों से विजय पाई तो इसी चुनाव में सबसे कम 26 मतों से जीत द्रमुक के एमएस शिवासामी को तमिलनाडु के त्रिरुचेन्दूर में मिली।
– 1977 में रामविलास पासवान भारतीय लोक दल के टिकट पर बिहार के हाजीपुर से सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले प्रत्याशी थे। उन्होंने 4 लाख 24 हजार 545 वोटों से जीत दर्ज कराई थी। इस चुनाव में पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी के देसाई दजीबा बलवंतराव ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर से 165 वोटों से जीत पाई थी।
– 1980 लोकसभा चुनाव में महाराजा मार्तंड सिंह मध्य प्रदेश के रीवा से ज्यादा वोटों दो लाख 38 हजार 351 के अंतर से जीते थे। वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़े थे। इस चुनाव में कांग्रेस (आई) के रामायण राय उत्तरप्रदेश के देवरिया से केवल 77 वोटों से जीते थे।
– 1984 के लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी से सर्वाधिक 3,14,878 मतों से जीते थे। शिरोमणि अकाली दल के मेवा सिंह पंजाब के लुधियाना से महज 140 वोटों के अंतर से जीते।
– 1989 लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर बिहार के हाजीपुर से लड़े रामविलास पासवान को सबसे ज्यादा 5,04,448 वोटों से जीत मिली तो इस चुनाव में सबसे कम 9 मतों के अंतर से जीत कांग्रेस कोंथाला रामकृष्ण को आंध्रप्रदेश के अनाकापल्ली से मिली।
– 1991 के चुनाव में कांग्रेस के संतोष मोहन देव त्रिपुरा के त्रिपुरा पश्चिम लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा 4,28,984 मतों से विजयी हुए। जनता दल के टिकट पर उत्तरप्रदेश के अकबरपुर से रामअवध सबसे कम 156 मतों से जीते।
– 1996 में डीएमके के सोमू एनवीएन ने तमिलनाडु के मद्रास पूर्व से सबसे ज्याद 3,89,617 मतों से तो इसी चुनाव में कांग्रेस के गायकवाड़ सत्यजीत सिंह दिलीप सिंह गुजरात के वड़ोदरा में सबसे कम 17 वोटों के अंतर से विजय हासिल कर लोकसभा पहुंचे।
– 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के डॉ. कथीरिया वल्लभभाई रामजीभाई ने गुजरात के राजकोट से 3,54,187 मतों से जीत दर्ज की। भाजपा के सोम मरांडी बिहार के राजमहल से मात्र 9 वोटों से जीते थे।
– 1999 लोकसभा चुनाव में नागालैंड से कांग्रेस के केके असुंगमबा सगंथम सबसे ज्यादा 3,53,598 मतों से जीते थे। सबसे कम 107 मतों से घाटमपुर संसदीय क्षेत्र से बसपा के प्यारेलाल शंखनार चुनाव जीते थे।
– 2004 में अनिल बसु ने माकपा उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल के आरामबाग से 5,92,502 मतों से जीत का रिकॉर्ड बनाया था। इस चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के डॉ. पी पुकुनहीकोया लक्षद्वीप से 71 वोटों से जीते।
– 2009 में नागालैंड पीपुल्स फ्रंट के सीएम चांग ने नागालैंड की नागालैंड सीट से 483021 मतों से जीत हासिल की तो सबसे कम मतों से जीत कांग्रेस के नमो नारायण को राजस्थान के टोंक सवाई माधोपुर से मिली। वे 317 मतों से जीते।
– 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में मोदी ने यूपी की वाराणसी और गुजरात की वड़ोदरा सीट से चुनाव लड़ा था। मोदी ने केवल एक ही नहीं बल्कि दोनों ही सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, बाद में वडोदरा की सीट छोड़ दी थी। इस चुनाव में मोदी के नाम वड़ोदरा सीट से सबसे ज्यादा 5,70,128 मतों से जीत का रिकॉर्ड है। इसी चुनाव में भाजपा के थुपस्तान छेवांग को जम्मू-कश्मीर की लद्दाख सीट से 36 वोटों से जीत मिली थी।
– 2019 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की लोकसभा सीट से केसी पाटिल ने 6 लाख 89 हजार मतों से जीत दर्ज कराई। सबसे कम मतों से जीतने का रिकार्ड भोलानाथ (बी.पी सरोज) के नाम रहा। मछलीशहर सीट से भोलानाथ केवल 181 वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे।