भोपालमध्य प्रदेश

लाड़ली लक्ष्मी के लिए खुलेगा खजाना, अब यह बदलाव करने की तैयारी

भोपाल
देशभर में लोेकप्रिय मध्यप्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी योजना अब पहले से और बेहतर होने जा रही है। राज्य सरकार प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी के लिए एक बार फिर खजाना खोलने की तैयारी में है। योजना के दायरे में आने वाली प्रदेश के बालिकाओं को वर्तमान में दी जाने वाली राशि में 25 हजार रुपए और दिए जाने की तैयारी चल रही है। वित्त विभाग की मंजूरी मिलते ही सरकार इसकी औपचारिक घोषणा करेंगी।

मध्यप्रदेश में एक अप्रैल 2007 से लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की गई थी। इस योजना में मध्यप्रदेश के मूल निवासी ऐसे परिवार जो आयकर दाता नहीं है। जिनकी एक ही बालिका है या दूसरी बालिका के मामले में माता-पिता ने आवेदन करने से पहले परिवार नियोजन अपना लिया हो उन्हें इस योजना में शामिल किया जाता है।

योजना में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से परियोजना कार्यालय, लोक सेवा केन्द्र में या इंटरनेट कैफे से आवेदन कर पंजीयन कराया जा सकेगा। पंजीयन होने के बाद बालिका के नाम से एक लाख 18 हजार रुपए देने के प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।  पंजीकरण के समय से लगातार पांच वर्षोें तक छह-छह हजार रुपए मध्यप्रदेश लाड़ली लक्ष्मी योजना निधि में जमा किए जाते है। इस तरह कुल तीस हजार रुपए सरकार बालिका के नाम से जमा करती है।

कक्षा छह में प्रवेश लेने पर दो हजार रुपए, नौवी में प्रवेश लेने पर चार हजार रुपए, 11 वी में प्रवेश लेने पर छह हजार रुपए तथा कक्षा बारहवी में प्रवेश लेने पर छह हजार रुपए ई पेमेंट के माध्यम से दिए जाते है।  बालिका के 21 वर्ष की उम्र होंने तथा बारहवी कक्षा में सम्मिलित होंने पर पर एकमुश्त एक लाख रुपए की राशि दी जाती है। इसमें यह शर्त रहती है कि बालिका का विवाह 18 वर्ष से कम उम्र में नहीं हुआ हो।

राज्य सरकार लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत मिलने वाली राशि में वृद्धि करने की तैयारी में है। बीस दिसंबर से शुरु होने वाले विधानसभा सत्र में राज्य सरकार मध्यप्रदेश लाड़ली लक्ष्मी योजना(बालिका प्रोत्साहन) संशोधन विधेयक 2021 भी लाने की तैयारी में है। फिलहाल 25 हजार रुपए प्रति बालिका के मान से योजना पर बढ़ रहे खर्च को लेकर असमंजस की स्थिति है। वित्त विभाग ने अभी इतनी अधिक राशि खर्च करने के लिए सहमति नहीं दी है इसलिए मामला अटका हुआ है।  विधानसभा सत्र के पहले यदि इस खर्च के इंतजाम को लेकर उच्च स्तर पर सहमति बन जाती है तो महिला एवं बाल विकास विभाग इसी सत्र में यह संशोधन विधेयक ला सकता है और मुख्यमंत्री इसकी औपचारिक घोषणा कर सकते है।

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