गांव की ITBP की ट्रेनिंग लेकर लौटी तो हुआ उसका जोरदार स्वागत
राजगढ़
राजगढ़ में जब आदिवासी बेटी ITBP की ट्रेनिंग कर गांव लौटी तो गांव वालों ने ऐसा स्वागत किया कि लोग देखते ही रह गए। बेटी फौजी की वर्दी में गांव अपने गांव गुलखेड़ी पहुंची तो ग्रामीणों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। बेटी को इस तरह सामने पाकर वे खुशी से उछल पड़े। उन्होंने बेटी को साफा बांधी, उसे घोड़े पर बैठकर गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला। बता दें कि आदिवासी समुदाय की उमा भील का सेलेक्शन ITBP में हुआ है।
बेटी पर गर्व है
उमा 11 महीने की ट्रेनिंग पूरी कर वर्दी में गांव लौटी तो परिवार सहित गांव वाले भावुक हो गए। जुलूस से पहले मुख्य मार्ग हाइवे से लेकर गांव तक और गांव में जगह-जगह बैनर पोस्टर लगाए गए। बेटी की इस उपलब्धि को देखकर माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू झलकने लगे। उमा ने गांव वालों का शुक्रियादा किया और बोली कि वह ये पल कभी भी नहीं भूल पाएगी।
मैकेनिक पिता की फौजी बिटिया
उमा के पिता निराकर भील एक कार मैकेनिक हैं। उनकी दो बेटी और एक बेटा है। जिसमें सबसे छोटी उमा है। घर की स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी बेटी ने हार नहीं मानी। 24 साल की उमा ने वो कर दिखाया जिसका गांव वालों ने कभी कल्पना ही नहीं की थी। उमा ने पांचवी तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में की। पढ़ाई में अच्छी थी तो उसका चयन पचोर के समीप नवोदय विद्यालय में हो गया। जहां से 12वीं पास होने के बाद उसका रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन (RIE) भोपाल (Bhopal) में सिलेक्शन हुआ। वहां से उसने BSC, B.ed किया।
हर रोज डेढ़ घंटे की दौड़
उमा ने बताया कि वह शुरू से ही सेना में जाना चाहती थी। पढ़ाई के बाद खर्चा चलाने के लिए वह दो साल आंध्र प्रदेश के स्कूल में पढ़ाया और तीन घंटे अपनी खुद की पढ़ाई भी की। हर दिन रोज स्कूल जाने से पहले में सुबह पांच बजे उठती और सीधे ग्राउंड में पहुंच जाती थी। वहां वह डेढ़ घंटे तक दौड़ लगाती थी। कड़ी मेहनत का नतीजा निकला और उसका सेलेक्शन भारत तिब्बत सीमा सुरक्षा बल में हो गया। ITBP ज्वॉइन करने के दौरान नवोदय विद्यालय में TGT टीचर्स सिलेक्शन भी हो गया लेकिन उमा ने अपने सपने को चुना और देश सेवा की ओर बढ़ गई।