देश

कोविड वैक्सीनेडेट लोगों में मृत्यु दर 10% रही, टीका न लगवाने वालों को मौत का खतरा दोगुना से ज्यादा

 नई दिल्ली

कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ देश भर में वैक्सीनेशन कैंपेन जारी है। इस बीच सरकार की ओर से हुए स्टडी में पाया गया है कि मौत का जोखिम उन लोगों के लिए दोगुने से अधिक था, जिन्हें पूरी तरह से टीका लगाया गया था या आंशिक रूप से टीका लगा था। अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की मौत के आंकड़ों के अध्ययन से यह बात सामने आई है।

अस्पताल में भर्ती ऐसे कोरोना संक्रमित जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी थी, उनमें 10% की मृत्यु दर रही। वहीं, वैक्सीन न लगवाने वालों या एक टीका लेने वालों में मृत्यु दर 22% थी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की कोरोना के लिए तैयार नेशनल क्लिनिकल रजिस्ट्री से यह डेटा मिला है। ICMR के डीजी बलराम भार्गव ने बताया कि बिना टीकाकरण (11.2%) की तुलना में टीकाकरण (5.4%) वालों में मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत बहुत कम थी।

तीसरी लहर में अस्पताल में भर्ती होने की औसत उम्र 44 साल थी, जबकि…
विश्लेषण में यह भी पाया गया कि तीसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने की औसत आयु 44 साल थी, जबकि पहली लहर में यह औसत उम्र 55 साल थी। ओमिक्रॉन लहर में प्रमुख लक्षण गले में खराश का था और अन्य सभी लक्षण जैसे बुखार, खांसी, सांस फूलना, गंध और स्वाद की कमी आदि टीकाकरण वाले रोगियों में कम देखने को मिले। साथ ही वैक्सीनेटेड लोगों के दवाओं के कम इस्तेमाल की बात भी सामने आई है।
 
देश भर के 37 अस्पतालों से लिए गए डेटा का विश्लेषण
डेटा देश भर में 37 अस्पतालों से इकट्ठे किए गए, जो रजिस्ट्री का हिस्सा हैं। दो अलग-अलग टाइम पीरियड का अध्ययन किया गया… 15 नवंबर से 15 दिसंबर, 2021 (डेल्ट का पीक समय) और 16 दिसंबर से 17 जनवरी, 2022 (ओमिक्रॉन का पीक समय)। डॉ भार्गव ने कहा कि यह निश्चित रूप से इस तथ्य पर जोर दे रहा है कि टीकाकरण कोरोना को मात देने में मदद करता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button