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सिनौली के बाद अब बागपत में ढूंढा जाएगा भारत का पुरातन इतिहास

बागपत। सिनौली की खोदाई के पांच साल बाद अब फिर से बागपत के बड़ौत में भारत का पुरातन इतिहास ढूंढा जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बड़ौत के गांव तिलवाड़ा साकिन में खोदाई की अनुमति दी है। इस गांव के लोगों को पहले भी खेतों में काम के दौरान कुछ धरोहरें मिल चुकी हैं। जिस खेत में गांव के लोगों को चीजें मिली हैं उसी खेत में खोदाई होगी। इस खेत को खाली कराने के लिए एएसआई गांव के लोगों से संपर्क कर रहा है। सिनौली से यह गांव 10 किलोमीटर दूर है।इससे पहले सिनौली में खोदाई में राजाओं के शव दाह गृह के साथ रथ और योद्धाओं के हथियार मिले हैं। जिन्हें महाभारत के समय से जोड़ कर देखा जा रहा है। दिल्ली के पुराना किला में पांडवों की राजधानी ढूंढने के लिए आजादी के बाद से पांचवीं बार एएसआई खोदाई करा रहा है। मगर इसके साथ ही एएसआई ने उस बागपत में भी खोदाई की तैयारी की है जिसे महाभारत काल का कहा जाता है। तिलवाड़ा के जिस खेत में खोदाई कराई जानी है उसे खाली कराया जा रहा है। इस खेत में गन्ने की फसल थी जो अब कट चुकी है। खेत मालिक की रजामंदी से इस खेत को अब खोदाई के लिए तैयार किया जाएगा। इस गांव में पहली बार खोदाई होगी। बताया जाता है कि इस गांव में खंडित खुलौने आदि कई बार वहां के लोगों के खेतों में काम करने के दौरान मिले हैं मगर जानकारी नहीं होने के कारण वे उनकी ऐतिहासिकता नहीं समझ सके। गांव के लोग भी चाहते हैं कि एएसआई यहां काम करे और किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके।गांव के लोग एएसआई को सहयोग देने के लिए तैयार हैं। हिंडन और यमुना दोआब में बसा बागपत का इतिहास काफी पुराना है। वह बताते हैं कि उनके द्वारा सिनौली में कराए उत्खनन से मृदभांड कंकाल तांबे की तलवारें ऐर तमाम कब्रें मिली थीं। जिनका संबंध महाभारत काल से मिलता है।वह कहते हैं कि बरनावा लाक्षागृह के पास भी उत्खनन किया गया है। तिलवाड़ा साकीन भी भारत के पुरातन इतिहास के मिलने की पूरी संभावना है।

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