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Manish Sisodia के खिलाफ एक और केस दर्ज, लगा भ्रष्टाचार का ये नया आरोप

Manish Sisodia Latest News: दिल्लीशराब घोटाला केस (Delhi Liquor Scam) में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के खिलाफ सीबीआई (CBI) ने एक और केस दर्ज किया है.

फीडबैक यूनिट (FBU) के गठन और नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप मनीष सिसोदिया पर है. मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है. ये मामला फीड बैक यूनिट के गठन से जुड़ा है. सीबीआई ने गृह मंत्रालय से मिली मंजूरी के बाद सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार का नया केस दर्ज किया है. इस मामले में सीबीआई ने प्राथमिक जांच नवंबर 2016 में ही जांच शुरू की थी. फरवरी 2016 में दिल्ली सरकार ने फीडबैक यूनिट बनाई थी. अब एक और केस दर्ज होने के बाद मनीष सिसोदिया की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती हैं.

FBU के गठन में ऐसे हुआ भ्रष्टाचार!

बता दें कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज कर जांच करने की मंजूरी दे दी है. दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट के गठन और उसमें की गईं अवैध नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर ये मंजूरी दी गई है. सीबीआई ने नवंबर, 2016 में एफआईआर दर्ज करके अपनी जांच शुरू की और पाया था कि फीडबैक यूनिट के गठन में भ्रष्टाचार किया गया. नियमों को ताक पर रखकर फीडबैक यूनिट बनाई गई. सीबीआई ने ये जांच तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी विजिलेंस दिल्ली सरकार केएस मीणा की शिकायत पर शुरू की थी.

भ्रष्टाचार पर नजर रखने के लिए बनी थी यूनिट

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने फरवरी, 2016 में दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और कामकाज पर निगरानी के लिए फीडबैक यूनिट का गठन किया था. इसके गठन के लिए दिल्ली सरकार की कैबिनेट मीटिंग में 29 सितंबर 2015 को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस ने 28 अक्टूबर 2015 को दिल्ली के सीएम को फीडबैक यूनिट गठन का प्रपोजल दिया जिसे मंजूर किया गया.

नियमों को ताक पर रखा!

जान लें कि इस यूनिट में शुरुआत में 20 भर्तियां होनी थीं, जिसके लिए दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग की 22 पोस्ट को खत्म करना था लेकिन बाद में दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो की 88 पोस्ट में से 20 भर्तियां फीडबैक यूनिट में करने की बात हुई क्योंकि एसीबी (ACB) भी विजिलेंस विभाग के अंतर्गत काम करता है. हालांकि, ACB में जिन 88 पदों को भरने की बात हो रही थी उसका भी सिर्फ प्रस्ताव था और एलजी की ओर से मंजूरी नहीं ली गई थी.
 

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