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झांसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान विरोधी भाजपा को सजा देने की अपील

  •  लखीमपुर खीरी में किसानों के हत्यारे को जमानत मिलने से किसानों में आक्रोश
  • संयुक्त किसान मोर्चा ने चेताया – भाजपा लौटी तो, किसान विरोधी कानून फिर किसानों पर थोपे जा सकते हैं

नई दिल्ली
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने आज झांसी में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी में किसानों के हत्यारे आशीष मिश्रा को जमानत मिलने से किसानों में आक्रोश व्याप्त है । उन्होंने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गर्मी ठंडा करने की बात कर किसानों को धमकाया और अब जमानत दिलवाकर किसानों के घावों पर नमक छिड़कने का काम किया है ।

जबकि किसान लखीमपुर खीरी के किसान हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता गृह राज्य मंत्री की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी की मांग कर रहे थे। अब उत्तर प्रदेश के किसान हिसाब किताब  भाजपा को सजा देकर करेंगे।

किसान नेताओं ने कहा कि यदि भाजपा सत्ता में लौटी तो किसान विरोधी कानून फिर किसानों पर थोपे जा सकते हैं इसलिए भाजपा को हराना जरूरी है।
 किसान नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के साथ 9 दिसंबर 2021 को जो समझौता किया था ,भाजपा सरकार ने उसे लागू न कर किसानों के साथ धोखा किया है इस कारण संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 550 किसान संगठनों ने देशभर में 31 जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाया तथा यूपी मिशन की घोषणा की।

किसान नेताओं ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 57 किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के साथ जुड़े हैं जो अपने कार्य क्षेत्रों में जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर, पर्चे बांटकर और नुक्कड़ सभाएं कर, किसान विरोधी भाजपा को हटाने की अपील गांव गांव में कर रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश के लिए जारी चुनावी घोषणापत्र में भाजपा ने किसानों से जो वादे किए हैं वह पिछले 2017 के चुनाव में भी किए गए थे लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया। अब फिर से भा ज पा पुराने वायदों को दोहरा रही है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने भाजपा के घोषणापत्र  को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा कि भाजपा ने 2017 में  वायदा किया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम एस पी) पर किसानों की धान की खरीदारी की व्यवस्था करेंगे तथा आलू, प्याज को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाया जाएगा। लेकिन अभी तक आलू, प्याज की एमएसपी पर खरीद की घोषणा नहीं हुई। पिछले पाँच वर्षों के दौरान धान के उत्पादन के एक तिहाई से भी कम की सरकारी खरीद की गयी है। गेहूँ में स्थिति और भी ख़राब थी और उत्पादन की 6 बोरी में एक बोरी से भी कम की खरीदी हुई।

बुन्देलखण्ड में अकाल, पलायन को झेलते हुए किसानों को भी दलहन और तिलहन की एम एस पी नहीं मिली। इसी तरह केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए 45 हज़ार करोड़ की जरूरत थी उसपर भी गत 5 वर्षों में कोई प्रगति नहीं हुई। झांसी औऱ आसपास की तमाम सिंचाई परियोजनाओं को रोक दिया गया।

भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली देने का वायदा किया है जबकि 2017 में भी सभी खेतों में कम दरों पर पर्याप्त बिजली पहुंचाने की व्यवस्था की जाने का संकल्प लिया था । लेकिन पिछले पांच साल में पर्याप्त बिजली नहीं मिली, ऊपर से रेट बढ़ गए। उत्तर प्रदेश की बिजली दरें देश में सबसे अधिक हैं। पाँच वर्षों के कार्यकाल में योगी सरकार ने किसानों से नलकूपों हेतू ग्रामीण मीटर्ड बिजली के दर 1 रुपया यूनिट से बढ़ाकर 2 रुपये यूनिट कर दी। फिक्स चार्ज में अप्रत्याशित वृद्धि कर 30 रुपये से 70 रुपये कर दिया। बिना मीटर वाले कनेक्शन में चार्ज 100 रुपये से बढाकर 170 रुपये कर दिया।  
किसान नेताओं ने कहा कि किसानों को रात रात भर जागकर आवारा पशुओं से अपनी फसलें बचाने के लिए मजबूर होना पड़ा है, ऐसे सभी किसान  भाजपा को सबक सिखाने के लिए वोट करेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संयुक्त किसान मोर्चा की 7 सदस्यीय संयोजन समिति के सदस्य हन्नान मोल्ला, योगेंद्र यादव, शिवकुमार शर्मा (कक्काजी), भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादोन, बुंदेलखंड किसान यूनियन अध्यक्ष विमल शर्मा एवं किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ सुनीलम ने संबोधित किया।

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