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समान नागरिक संहिता को लेकर बढ़ी भाजपा की सक्रियता, उत्तराखंड से बिहार तक में हलचल तेज

 नई दिल्ली।
 समान नागरिक संहिता को लेकर भाजपा अपने शासन वाले राज्यों के जरिए जनमानस को जानने और इसके लिए जमीन तैयार करने में जुट गई है। उत्तराखंड में राज्य सरकार ने इस दिशा में एक समिति का गठन भी कर दिया है और उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश से भी इसके समर्थन में आवाजें उठने लगी हैं। इसे देखते हुए संसद का मानसून सत्र अहम हो सकता है। भाजपा अपने राजनीतिक एजेंडे के तीन कोर मुद्दों राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 की समाप्ति और समान नागरिक संहिता में से दो राम मंदिर व अनुच्छेद 370 के लक्ष्य को पूरा कर चुकी है। अब भाजपा सरकार समान नागरिक संहिता को लेकर आगे बढ़ने की तैयारी में है। बीते दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे ने राजनीतिक गर्मी पैदा की थी। इसके बाद भाजपा की राज्य सरकारों ने इस दिशा में कदम बढ़ाने भी शुरू कर दिए हैं।

उत्तराखंड ने की पहल
सबसे पहले उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पहल की और समान नागरिक संहिता के लिए एक समिति बना दी है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लगातार इसकी वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि देश में सबके लिए एक कानून होना चाहिए। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी भाजपा की सरकारों का समर्थन करते हुए कहा है कि हिमाचल में भी इस दिशा में आगे बढ़ा जाएगा।
 
बिहार में बयानबाजी तेज
बिहार में इस मुद्दे पर भाजपा व जद (यू) में काफी बयानबाजी हुई है। सामान नागरिक संहिता के पक्ष में मुखर हुए भाजपा नेता अब गठबंधन सरकार को लेकर कुछ नरम हुए हैं। दरअसल जद (यू) इसके पक्ष में नहीं हैं, ऐसे में सरकार के स्तर पर फिलहाल ज्यादा कुछ नहीं हो सकता है। हालांकि उनका कहना है कि वह इसे जनता के बीच लेकर जाएंगे। सूत्रों के अनुसार सरकार में इस मुद्दे पर सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। इस लिहाज से संसद का आगामी मानसून सत्र काफी अहम हो जाता है। हाल में गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस बारे में संकेत दिए थे, हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा था। लोकसभा में बड़ा बहुमत होने के साथ राज्यसभा में भी भाजपा व राजग इस समय सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं।

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