5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा इस साल भी नहीं होंगी, हरियाणा सरकार ने 7वीं बार बदला फैसला
चंडीगढ़
हरियाणा में 5वीं और 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा इस साल भी नहीं होंगी। इस फैसले को लेकर राज्य सरकार 7वीं बार बैकफुट पर आ गई है। इस बारे में खुद सीएम मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा करते हुए कहा कि इन दोनों कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा इस सत्र में नहीं होगी और इस साल परीक्षा स्कूल ही लेंगे। बता दें कि, 5वीं और 8वीं की फाइनल परीक्षाएं हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से कराए जाने की तैयारी चल रही थीं। 5वीं-8वीं की बोर्ड परीक्षा इस साल भी नहीं होंगी 5वीं-8वीं की बोर्ड परीक्षा इस साल भी नहीं होंगी सरकार ने अब कहा है कि, कोरोना महामारी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, इसलिए बोर्ड परीक्षा 1 साल के लिए टाल दी गई हैं।
बोर्ड परीक्षा टालने के विषय में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि कुछ अभिभावकों व स्कूल संचालकों ने कोरोना महामारी के चलते प्रभावित हुई पढ़ाई का हवाला देते हुए इन कक्षाओं की बोर्ड परीक्षाएं टालने का आग्रह किया था। इसके चलते एक वर्ष के लिए इन परीक्षाओं को बोर्ड के माध्यम से न कराने का निर्णय लिया गया है। अब सिर्फ 2 शहरों में रात्रि कर्फ्यू, स्कूल-कॉलेजों में अगले हफ्ते से ऑफलाइन होगी पढ़ाईअब सिर्फ 2 शहरों में रात्रि कर्फ्यू, स्कूल-कॉलेजों में अगले हफ्ते से ऑफलाइन होगी पढ़ाई सरकार की ओर से आगामी 25 फरवरी को कई स्कूल एसोसिएशन की बैठक भी बुलाई गई थी। मगर..कल के फैसले के बाद अब बैठक की जरूरत होगी तो ही बुलाई जाएगी, वरना बैठक नहीं होगी।
सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा गौरतलब हो कि, पढ़ाई का स्तर सुधारने के उद्देश्य से सरकार ने CBSE समेत सभी स्कूलों की 5वीं-8वीं की परीक्षाएं हरियाणा बोर्ड से कराने का फैसला लिया था। इसके खिलाफ CBSE से मान्यता प्राप्त स्कूल व कुछ अभिभावक हाईकोर्ट में पहुंच गए थे। लिहाजा सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा। स्कूलों में इन 2 कक्षाओं के लाखों बच्चे स्कूलों में इन 2 कक्षाओं के लाखों बच्चे 5वीं और 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा न कराए जाने के निर्णय के बाद अब परीक्षा को लेकर असमंजस में चल रहे 9.47 लाख बच्चों व उनके अभिभावकों को राहत मिली है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के स्कूलों में 5वीं में 5.01 लाख और 8वीं में 4.46 लाख बच्चे पढ़ते हैं। सरकार के हालिया निर्णय पर आॅल हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन खुश है और उसका कहना है कि, इन दोनों कक्षाओं की परीक्षा बोर्ड से कराने के फैसले को हमेशा के लिए रद्द किया जाना चाहिए, ताकि बच्चों पर मानसिक दबाव न बने।