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श्रीलंकाई तमिलों पर प्रभुत्व जमाने की कोशिश कर रहा चीन

कोलंबो। श्रीलंका को कर्ज के जाल में फांसने के बाद चीन अब भारत समर्थक तमिलों पर डोरे डाल रहा है। खुद श्रीलंका में मौजूद चीन के राजदूत जाफना का दौरा कर रहे हैं। दिसंबर में चीनी राजदूत ने जाफना के तमिल मछुआरों से मुलाकात कर कई गिफ्ट भी बांटे थे। श्रीलंका में सिंहली और तमिलों के बीच जारी रस्साकस्सी के कारण जाफना का विकास बाकी हिस्सों की अपेक्षा काफी कम हुआ है। इस इलाके में मौजूद तमिलों को भारत समर्थक माना जाता है। यह बात सही भी है कि जाफना में भारत पारंपरिक रूप से काफी मजबूत शक्ति रहा है। ऐसे में चीनी अधिकारियों की बढ़ती दिलचस्पी नई दिल्ली की चिंताओं को बढ़ा सकती है।

चीनी राजदूत के जाफना दौरे से भारत को क्या चिंता?
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग ने दिसंबर में जाफना का दौरा किया था। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि यह क्षेत्र हमेशा चीनियों के लिए ऑफ-लिमिट रहा है इसलिए यह दौरा श्रीलंकाई सरकार के आशीर्वाद से किया गया था। जाफना में 40 लाख तमिल रहते हैं। इनका भारत के तमिलनाडु से मजबूत भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। भारत की सबसे बड़ी चिंता यह है कि श्रीलंका के सहयोग से चीन हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बना रहा है। ऐसे में अगर श्रीलंकाई तमिलों के बीच चीन की पैठ हो जाती है तो भारत की समुद्री सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

धोती पहन मंदिर में पूजा करने पहुंचे चीनी राजदूत
अपनी यात्रा के दौरान श्रीलंकाई राजदूत क्यूई जेनहोंग ने गोल्ड प्लेटेड धोती पहनी थी। वे जाफना के प्रसिद्ध स्थानीय मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए तमिल हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सिर्फ घोती पहनकर नंगे पैर पहुंचे थे। उन्होंने तमिल मछुआरों को कोविड रिलीफ किट और मछली पकड़ने के गियर भी बांटे। इस दौरान कुछ तमिल मछुआरों ने शिकायत करते हुए कहा कि भारतीय मछुआरे उनके क्षेत्र में अवैध रूप से शिकार करते हैं। इसके बाद चीनी राजदूत श्रीलंकाई सेना के प्रोटेक्शन में रामसेतु को देखने के लिए रवाना हुए।

एक्सपर्ट बोले- भारत को उकसाना चाहता है चीन
इस रिपोर्ट में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के फेलो एन सत्यमूर्ति ने बताया कि क्यूई की श्रीलंका में रामसेतु और जाफना की यात्रा नई दिल्ली को 'जातीय तमिल मुद्दे' के प्रति भारतीय संवेदनशीलता को देखते हुए रणनीतिक और राजनीतिक दृष्टि से उत्तेजित करने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि संदेश स्पष्ट है कि चीन की कोशिश श्रीलंका के प्रभाव वाले हर उस क्षेत्र में घुसने की है, जो भारत को परेशान कर सकती है। हालांकि चीनी राजदूत ने अपनी इस यात्रा को लेकर सफाई देते हुए कहा कि कोरोना के कारण वे श्रीलंका के कई इलाकों को घूम नहीं सके थे, यही कारण है कि उन्होंने राजदूत के नाते इस हिस्से में जाने का फैसला किया।

श्रीलंकाई सेना ने तमिलों पर चीनी हथियारों से किए थे अत्याचार
चीन ने 2009 में तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे को खत्म करने के लिए श्रीलंका को हथियार दिए थे। इन्हीं हथियारों के दम पर श्रीलंकाई सेना ने लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन को मार गिराया था। 26 साल तक चले गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद सिंहलियों के नेतृत्व में श्रीलंका में एक मजबूत सरकार का गठन किया गया। इतना ही नहीं, चीन ने श्रीलंकाई सेना पर लगने वाले मानवाधिकार हनन के आरोपों का भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बचाव किया।

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