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वाहन की आरसी और इंश्योरेंस पेपर में मालिक के नाम अलग-अलग नाम होने से दावा खारिज

नई दिल्ली |  

यदि आप कोई पुराना वाहन खरीद रहे हैं तो गाड़ी के साथ-साथ बीमा भी तुरंत अपने नाम करा लें अन्यथा किसी तरह की चोरी या नुकसान होने पर बीमा का लाभ आपको नहीं मिलेगा। ऐसे ही एक मामले में उपभोक्ता आयोग ने वाहन चोरी होने पर इसके मालिक को बीमा का लाभ देने से इनकार कर दिया। दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बीमा कंपनी के हक में फैसला देते हुए कहा कि बीमा धारक और गाड़ी मालिक एक ही व्यक्ति होना जरूरी है, तभी जाकर बीमा का दावा/लाभ दिया जा सकता है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस संगीता धींगरा सहगल और अनिल श्रीवास्तव की बेंच ने करीब नौ साल पुराने जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले को रद्द करते हुए यह फैसला दिया है।

बेंच ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के पूर्व के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यदि बीमा धारक और वाहन मालिक एक व्यक्ति नहीं है तो नुकसान होने पर बीमा का लाभ नहीं दिया जा सकता है। आयोग ने कहा कि जहां तक मौजूदा मामले का सवाल है इसमें वाहन शिकायतकर्ता के नाम है और बीमा वाहन के पूर्व मालिक के नाम से जारी हुआ है। ऐसे में वाहन चोरी होने पर बीमा कंपनी की ओर से भरपाई देने से इनकार किए जाने में कुछ भी अनुचित नहीं है। आयोग ने उस दलील को भी ठुकरा दिया, जिसमें कंपनी को बीमा अपने नाम जारी करने की औपचारिकता पूरी करने की बात कही गई थी।

2010 में चोरी हुई थी
आयोग में पेश मामले के अनुसार, अक्टूबर 2010 में शिकायतकर्ता दीपिका की गाड़ी चोरी हो गई थी। उन्होंने गाड़ी चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद बीमा कंपनी से इसकी भरपाई के लिए दावा किया। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए लाभ देने से इनकार कर दिया कि वाहन की बीमा पॉलिसी इसके पहले मालिक के नाम है।

सूचना देने में देरी बीमा ठुकराने का आधार
उपभोक्ता आयोग ने फैसले में कहा कि वाहन चोरी होने की सूचना देरी से देने के आधार पर बीमा का लाभ देने से इनकार करना कानूनी तौर पर सही है। बीमा कंपनी ने कहा था कि शिकायतकर्ता ने वाहन चोरी होने की रिपोर्ट पुलिस में तीन दिन की देरी से दर्ज कराई। साथ ही कहा कि शिकायतकर्ता ने चोरी की सूचना 57 दिन की देरी से दी।

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