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खनन विवाद में बढ़ सकती हैं सीएम हेमंत की मुश्किलें, मामला चुनाव

रांची

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके छोटे भाई दुमका के विधायक बसंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीएम सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते अपने नाम पत्थर खदान की लीज लेने के आरोप का का मामला भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) नई दिल्ली तक पहुंच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बसंत सोरेन पर भी विधायक रहते खनन कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर होने का आरोप लगाया था। दोनों पर रघुवर दास द्वारा लगाये गये आरोप और इससे संबंधित कागजातों को सत्यापित करने के लिये भारत निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य सरकार से पत्राचार किया गया है। हालांकि यह पत्र अगले एक दो दिन में राज्य सरकार को मिलने की उम्मीद है। राज्यपाल रमेश बैस ने मुख्य सचिव से भारत निर्वाचन आयोग के पत्राचार को लेकर चर्चा की है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पिछले दिनों एक पत्रकार वार्ता के माध्यम से सीएम हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते अपने नाम से पत्थर खदान लीज लेने का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी आदि के साथ राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और इस संबंध में शिकायत की। उन्होंने राज्यपाल को इससे संबंधित कागजात भी उपलब्ध कराये। भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री को विधान सभा की सदस्यता के लिये अयोग्य बताते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की। वहीं बसंत सोरेन पर भी विधायक रहते खनन कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर होने का आरोप लगाया था।

भाजपा राज्यपाल के पास उठा चुकी है मुद्दा
भाजपा नेताओं ने हेमंत और बसंत सोरेन पर सरकार से दोहरा लाभ लेने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की। कहा कि यह कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। इसके साथ ही भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से विधानसभा के सदस्यों की निरर्हता से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत निर्वाचन आयोग की राय लेकर निर्णय लेने का भी आग्रह किया।

दस्तावेजों के सत्यापन के लिए पत्राचार
भारत निर्वाचन आयोग सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में राजभवन की ओर से परामर्श मांगा गया है। इसके आधार पर ही आयोग ने उपलब्ध कराए गए कागजातों को सत्यापित करने के लिये पत्राचार किया है। कागजातों के सरकार के पास जल्द पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। सत्यापित कागजातों के आधार पर भारत निर्वाचन आयोग परामर्श देगा जिसके आधार पर राज्यपाल निर्णय लेंगे।

 

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