देश

मेडिकल की पढ़ाई दो भाषाओं में कराने पर विचार, लोकल लैंग्वेज चयन करने की मिलेगी आजादी

 नई दिल्ली।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषाओं में शुरू किए जाने के बाद अब मेडिकल की पढ़ाई भी अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की हाल में हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई है। इस बैठक में तैयार चर्चा का मसौदा विभिन्न पक्षों की राय जानने के लिए जारी किया गया है।

एनएमसी के गठन से पहले जब एमसीआई अस्तित्व में थी, तब उसने हिंदी में मेडिकल कोर्स शुरू करने के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। मगर, अब इस मुद्दे पर नए सिरे से बदले स्वरूप में कवायद शुरू होती दिखाई दे रही है। सूत्रों के अनुसार, चर्चा के मसौदे में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा को दो भाषाओं में शुरू करने का नया प्रस्ताव बैठक में आया है। इसका मतलब यह है कि अंग्रेजी के साथ-साथ एक स्थानीय भाषा में भी मेडिकल की पढ़ाई शुरू की जाए। यह देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग हो सकती है। मसलन, ओडिशा में अंग्रेजी के साथ उड़िया, उत्तर प्रदेश में अंग्रेजी के साथ हिंदी और तमिलनाडु में अंग्रेजी के साथ तमिल भाषा हो सकती है।
 

इससे राज्य स्तर पर छात्रों को चिकित्सा शिक्षा के अध्ययन में सुविधा होगी, क्योंकि यह देखा गया है कि ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्रों को शुरुआती दौर में चिकित्सा शिक्षा की पूर्णत: अंग्रेजी में पढ़ाई करने में कठिनाई आती है। इस कदम से क्षेत्रीय भाषाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

क्षेत्रीय भाषाओं में भी हो रही इंजीनियरिंग की पढ़ाई
बता दें कि कुछ समय पूर्व एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में शुरू करने का ऐलान किया है। इस सत्र से कई इंजीनियरिंग कॉलेजों ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। मेडिकल की पढ़ाई दो भाषाओं में शुरू करने के प्रस्ताव पर एनएमसी आगे बढ़ पाता है या नहीं, यह काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है। मगर, इस प्रस्ताव के ज्यादा विरोध होने की संभावना इसलिए भी नहीं है, क्योंकि इसमें प्रमुख भाषा के तौर पर अंग्रेजी मौजूद रहेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button