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पढ़ाई में बेटियां अव्वल, लड़कों की तुलना में कम स्कूल छोड़ रहीं लड़कियां

नई दिल्ली।
 
लड़कियों का स्कूल जाने और पढ़ाई जारी रखने का रुझान पहले की तुलना में बेहतर हुआ है। लड़कियां माध्यमिक स्तर पर लड़कों की तुलना में कम संख्या में स्कूल छोड़ रही हैं। यह जानकारी केंद्र सरकार द्वारा संसद में एक सवाल के जवाब में दिए गए आंकड़ों से सामने आई है। वर्ष 2020-21 में माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर 13.7 फीसदी थी। जबकि लड़कों की संख्या कहीं ज्यादा 14.3 फीसदी थी। हालांकि, प्राथमिक स्तर पर लड़कों का ड्रॉपआउट दर 1.2 और लड़कियों की लगभग बराबर 1.4 फीसदी थी। लड़के और लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर हर राज्य में समान नहीं है। जानकारों का कहना है कि राज्य विशेष की परिस्थिति, वहां की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में महिलाओं की भूमिका समेत राज्यों की योजनाओं का असर ड्रॉपआउट पर पड़ता है। वर्ष 2019-20 में भी लड़कियों ने लड़कों की अपेक्षा कम स्कूल छोड़ा।

स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय से बदली सोच
पूर्व शिक्षा सचिव डॉ. एके रथ का कहना है कि लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर पहले की तुलना में काफी कम हुई है। इसकी प्रमुख वजह स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनना है। यह बड़ा सामाजिक असर है, जिसे सही तरीके से समझने की जरूरत है। शौचालय न होने से अभिभावक भी लड़कियों को स्कूल भेजने से बचते थे। पूर्व शिक्षा सचिव ने कहा कि ओडिशा के कोरापुट में यूनिसेफ द्वारा कराए गए एक अध्ययन में इसकी पुष्टि भी हुई थी। नामांकन में 30 फीसदी वृद्धि हुई थी। डॉ. रथ ने कहा कि दूसरी बड़ी वजह स्कूलों में महिला शिक्षक की संख्या बढ़ना है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की स्कूल जाने की झिझक कम हुई है। तीसरी वजह बहुत जगहों पर सरकार लड़कियों को स्कूल जाने के लिए साइकिल व अन्य तरीकों से प्रोत्साहन दे रही हैं। लड़कियों के ड्रॉपआउट कम होने का चौथा कारण स्कूलों में यूनिफॉर्म मुहैया कराना और पांचवां लड़कियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति से भी लड़कियां कम स्कूल छोड़ रही हैं और नामांकन बढ़ रहा है। जानकारों का कहना है कि इसके अलावा लड़कियों की पढ़ाई को लेकर जागरूकता बढ़ना भी एक कारण है। वहीं, कुछ राज्यों के विशेष प्रदर्शन से स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर सुधरी है।

पहले क्या थी स्थिति?
पहले लड़कियों का ड्रॉपआउट लड़कों की तुलना में ज्यादा रहा है। एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, अपर प्राइमरी स्तर पर साल 2014-15 में लड़कों में 3.49 और लड़कियों में स्कूल छोड़ने की दर 4.60 थी। अनूसूचित जाति के लड़कों के लिए यही आंकड़ा 5.00 और लड़कियों के लिए 6.03 का था। रिपोर्ट के मुताबिक, 2014-15 में अपर प्राइमरी स्तर पर स्कूली पढ़ाई छोड़ने वाले लड़कों की दर 8.48 तथा लड़कियों में 8.71 थी।

 

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