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कंफर्म टिकट के बावजूद दरभंगा से दिल्ली खड़े होकर करनी पड़ी थी यात्रा, कोर्ट ने 14 साल बाद रेलवे को माना दोषी; जुर्माना भी

 नई दिल्ली।

ट्रेन का कंफर्म आरक्षित टिकट होने के बाद भी रेलवे ने एक बीमार व्यक्ति को बर्थ नहीं दिया, जिससे उन्हें दरभंगा से दिल्ली तक खड़े होकर यात्रा करनी पड़ी थी। इस मामले में 14 साल बाद उपभोक्ता अदालत ने यात्री के हक में फैसला देते हुए रेलवे को सेवा में कमी का दोषी पाया है। उपभोक्ता अदालत ने रेलवे अधिकारियों की वजह से यात्री को हुई परेशानी के बदले न सिर्फ मुआवजा देने का आदेश दिया है, बल्कि मुकदमे का खर्च भी देने का आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की अध्यक्ष मोनिका श्रीवास्तव, सदस्य रश्मि बंदल और राजेंद्र धर की पीठ ने फरीदाबाद निवासी इंद्रनाथ झा की शिकायत का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है।
 
पीठ ने कहा है कि लोग पहले से ट्रेन का टिकट बुक कराते हैं, ताकि आरामदायक यात्रा कर सकें, लेकिन मौजूदा मामले में एक माह पहले ही कंफर्म आरक्षित टिकट बुक कराने के बावजूद शिकायतकर्ता की ट्रेन यात्रा न सिर्फ शारीरिक, मानसिक परेशानियों भरी रही, बल्कि उसे अपमानजनक व्यवहार का भी सामना करना पड़ा। हाल ही में पारित अपने फैसले में पीठ ने कहा कि तथ्यों से साफ है कि प्रतिवादी रेलवे लापरवाही और सेवा में कमी का दोषी है। शिकायतकर्ता इंद्रनाथ झा ने 19 फरवरी 2008 को दरभंगा से दिल्ली आने के लिए डेढ़ महीने पहले यानी 3 जनवरी 2008 को स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में एस-4 में बर्थ 69 कंफर्म आरक्षित टिकट बुक किया था, लेकिन उन्हें सीट नहीं मिली।

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