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चार लाख रुपये का डीजल 48 घंटे के स्‍याहड़वा रेस्क्यू में लगा, NDRF और सेना भी करेगी भुगतान

हिसार
गांव स्याहड़वा में कुएं में दबे दो लोगों का निकालने का रेस्क्यू आपरेशन लगातार 48 घंटे से जारी है। इतने घंटों में लाइट आदि की व्यवस्था के लिए तीन ड्रम डीजल का प्रयोग किया गया है। जिसकी कीमत करीब तीन लाख रुपये है। इसके साथ ही सेना व एनडीआरएफ की टीम को भी प्रशासन भुगतान करेगा। इसके साथ ही घटना स्थल पर लगी पांच पोपलीन मशीन, 12 जेसीबी व टैक्ट्ररों को भी भुगतान किया जाएगा। इसके बिल आने पर ही यह भुगतान होगा। अभी तक मशीनों को ठेकेदारों से मंगा लिया गया है। ऐसे में पूरा रेस्क्यू मिशन लाखों रुपये में प्रशासन को पड़ेगा। आपदा प्रबंधन विभाग के माध्यम से इसका भुगतान किया जाएगा। इस कार्य में लगभग 10 से 15 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

अब इस तरह से कर रहे खोदाई
इस रेस्क्यू अभियान में सेना की इंजीनियरिंग रेजीमेंट कुएं की ऊपर की स्थिति को संभाल रही हैं। वहीं कुएं के भीतर से मिट्टी निकालने का काम एनडीआरएफ कर रही है। सोमवार को जब एनडीआरएफ का एक जवान मिट्टी में धंसने से बचा तो सेना और एनडीआरएफ को अपनी स्थिति में परिवर्तन करना पड़ा। उन्होंने कुएं क आसपास गोलाई में खोदाई शुरू करने का निर्णय लिया। जिससे कुएं का आकार बड़ा हो जाएगा और मिट्टी के नीचे धंसने की संभावना भी कम रहेगी।

जगदीश की मौत से ग्रामीणों में शोक की लहर
गांव स्याहड़वा में रविवार को पूरे दिन ग्रामीणों ने सुबह सात बजे से लेकर सोमवार साढ़े चार बजे तक रेस्क्यू आपरेशन में हर संभव मदद करने की कोशिश की। मगर जैसे ही जगदीश का शव कुएं से बाहर आया तो सभी की हिम्मत जवाब दे गई। अब उनकी आस जयपाल को लेकर भी कहीं खोती जा रही थी। मगर टूटी आस के साथ भी वह हर मदद करते दिखे। गांव में मातम का माहौल है। जयपाल के स्वजन भी काफी सहमे हुए दिखाई दिए। सोमवार को रेस्क्यू आपरेशन को देख रहे हर किसी ग्रामवासी की बातों में एक हताशा नजर आ रही थे। हालांकि वह सोमवार और मंगलवार भी प्रशासन व रेस्क्यू टीमों की मदद करते दिखाई दिए।

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