देश

डॉक्टर्स बोले- फिलहाल भर्ती करने की जरूरत नहीं; ED ऑफिस वापस लाए गए पार्थ चटर्जी

कोलकाता
पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी AIIMS भुवनेश्वर से डिस्चार्ज होकर सोमवार को कोलकाता वापस आ गए। कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर चटर्जी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एम्स में भर्ती कराया था। स्कूल जॉब्स स्कैम केस में वह 3 अगस्त तक ईडी की हिरासत में हैं। उन्हें साल्ट लेक के सीजीओ परिसर में स्थित एजेंसी के कार्यालय आज लाया गया। एम्स, भुवनेश्वर के डॉक्टर्स ने कहा कि चटर्जी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। ईडी ने अस्पताल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए चटर्जी को 10 दिनों के लिए हिरासत में देने की अपील की थी। बैंकशाल कोर्ट में ईडी की विशेष अदालत के न्यायाधीश जीबोन कुमार साधू ने मंत्री की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और चटर्जी व उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को तीन अगस्त तक के लिए जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया।

'चटर्जी को तत्काल अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं'
अस्पताल के कार्यकारी निदेशक आशुतोष विश्वास ने कहा, "हमने चटर्जी के रक्त, किडनी, थॉयराइड और हृदय संबंधी जांच की है। उन्हें कुछ गंभीर बीमारियां हैं, लेकिन तत्काल अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। उच्च न्यायालय को चटर्जी के स्वास्थ्य की स्थिति से जुड़ी रिपोर्ट भेज दी गई है। वह जिन लक्षणों के साथ अस्पताल आए थे, वे बहुत गंभीर प्रकृति के नहीं हैं। सीने में इतना दर्द नहीं था। टीएमसी नेता लंबे समय से दवाएं ले रहे हैं और एम्स ने उनके लक्षणों को ध्यान में रखते हुए उसमें कुछ बदलाव करने की सलाह दी है।"

पार्थ चटर्जी के खिलाफ क्या है मामला?
राज्य प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक भर्ती घोटाले के वक्त चटर्जी के पास शिक्षा विभाग का प्रभार था। बाद में उनसे यह विभाग ले लिया गया। अदालत ने सीबीआई से अनियमितताओं की जांच करने को कहा था। ईडी, घोटाले में धन शोधन पहलू की जांच कर रही है। केंद्रीय एजेंसी स्कूल भर्ती घोटाले में कथित वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है।

बीमारी का बहाना बनाकर भर्ती होने का आरोप
ईडी ने अपनी दलील में कहा कि चटर्जी एसएसकेएम अस्पताल में बीमारी का बहाना बना कर भर्ती हुए थे और शनिवार को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से उन्हें दो दिनों की रिमांड पर दिए जाने के दौरान एजेंसी उनसे पूछताछ नहीं कर सकी। न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि आरोपी के ईडी की हिरासत में रहने के दौरान हर 48 घंटे में उनकी चिकित्सा जांच की जाए। अदालत ने जांच अधिकारी से आरोपियों को प्रताड़ित न किए जाने का भी निर्देश दिया।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button