देश

मत भूलो तुम्हारी पहली फिल्म… कर्नाटक के नेता हिंदी को लेकर अजय देवगन पर बरसे

नई दिल्ली
कन्नड़ अभिनेता सुदीप और बॉलीवुड के ऐक्टर अजय देवगन के बीच ट्विटर पर हिंदी भाषा को लेकर छिड़ी बहस ने राजनीतिक रंग ले लिया है। खासतौर पर कर्नाटक की राजनीति में अजय देवगन का ट्वीट चर्चा का विषय बन गया है। यहां तक कन्नड़ अस्मिता के नाम पर सभी दलों के नेता एकजुट नजर आ रहे हैं। सुदीप और अजय देवगन के बीच ट्विटर पर छिड़ी बहस को लेकर बोम्मई ने कहा, 'हमारे राज्यों का गठन भाषा के आधार पर हुआ था। क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व दिया गया था। सुदीप का बयान सही है और उसका हर किसी को सम्मान करना चाहिए।' उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस के नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया के बयान के बाद आई है।

कांग्रेस नेता बोले- देश में 19,500 से ज्यादा मातृभाषाएं
सिद्धारमैया ने कहा था कि मुझे कन्नाडिगा होने पर गर्व है। हिंदी कभी राष्ट्रभाषा नहीं थी और न होगी। उन्होंने कहा कि देश में हर किसी को भाषाई विविधता को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए। सिद्धारमैया ने कहा कि हर भाषा का अपना समृद्ध इतिहास रहा है और उसे बोलने वाले लोग उस पर गर्व करते रहे हैं। यही नहीं कांग्रेस के सीनियर नेता डीके शिवकुमार भी इस बहस में कूदे हैं। उन्होंने कहा कि देश में 19,500 ऐसी बोलियां हैं, जो लोगों की मातृभाषाएं हैं। हर भाषा में भारत के प्रति हमारा प्यार जाहिर होता है। डीके शिवकुमार ने कहा, 'एक प्राउड कन्नाडिगा और कांग्रेसी होने के चलते मैं हर किसी को बताना चाहूंगा कि हमारी पार्टी ने भाषायी आधार पर राज्यों का गठन किया था ताकि किसी एक भाषा का वर्चस्व दूसरी भाषा पर न हो सके।'  

अन्य भाषाओं की तरह ही हिंदी भी एक भाषा है
जनता दल (सेक्युलर) के नेता कुमारस्वामी ने भी सुदीप का समर्थन किया है।  उन्होंने कहा, 'अभिनेता सुदीप का कहना सही है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है। उनके बयान में कुछ भी गलत नहीं है। अभिनेता अजय देवगन आक्रामक स्वभाव के हैं और उन्होंने अपने इस अजीब व्यवहार को प्रदर्शित किया है।' कुमारस्वामी के अनुसार, हिंदी भी कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम और मराठी जैसी भाषाओं की तरह एक भाषा है। कुमारस्वामी ने गुरुवार को लगातार कई ट्वीट करते हुए कहा, 'भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं। देश विभिन्न संस्कृतियों से समृद्ध है। इसमें खलल उत्पन्न करने की कोशिश ना करें।'

कुमारस्वामी बोले, अजय देवगन को क्यों याद दिलाई पहली फिल्म
कुमारस्वामी ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है, इसे राष्ट्रभाषा नहीं कहा जा सकता। कश्मीर से कन्याकुमारी तक नौ राज्यों से कम में हिंदी दूसरे या तीसरे नंबर की भाषा है या ऐसे भी राज्य हैं, जहां उसे यह मुकाम भी हासिल नहीं हैं। कुमारस्वामी ने कहा, 'अगर स्थिति यह है तो अजय देवगन के बयान में क्या सच्चाई है? फिल्म को ‘डब’ (दूसरी भाषा में अनुवाद) नहीं करने से आपका (अजय देवगन का) क्या मतलब है?’उनके अनुसार, केंद्र में ‘हिंदी’ भाषी राजनीतिक दल शुरू से ही क्षेत्रीय भाषाओं को खत्म करने का प्रयास करते रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय भाषाओं को ‘दबाना’ शुरू किया था और अब भारतीय जनता पार्टी भी ऐसा ही कर रही है। यही नहीं कुमार स्वामी ने कहा कि अजय देवगन को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनकी पहली फिल्म फूल और कांटे एक साल तक बेंगलुरु में चली थी।

क्यों सुदीप और अजय देवगन में हिंदी पर छिड़ गई थी बहस
दरअसल सुदीप ने केजीएफ 2 मूवी को राष्ट्रीय फिल्म बताए जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में टिप्पणी की थी। इस पर विवाद छिड़ गया था। उन्होंने दावा किया था कि अब हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं रह गई है। उनका कहना था कि यदि बॉलीवुड खुद को पैन इंडिया सिनेमा कहलाना चाहता है तो फिर उसे अन्य भाषाओं में भी मूवीज की डबिंग करनी चाहिए। इस पर अजय देवगन ने जवाब देते हुए कहा था कि यदि हिंदी राष्ट्र भाषा नहीं है तो फिर कन्नड़ की फिल्मों की हिंदी में डबिंग क्यों की जा रही है। इसके आगे अजय देवगन ने कहा था कि हिंदी राष्ट्रभाषा थी, है और हमेशा रहेगी। जन गण मन।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button