तीसरी लहर आई भी तो नहीं होंगे दूसरी जैसे हालात!
नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने कहा कि ओमिक्रॉन संक्रमण के मामलों के उपचार के दौरान आक्सीजन की जरूरत पड़ने के संकेत नहीं मिले हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि ओमिक्रॉन से सर्वाधिक प्रभावित दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों से प्राप्त सूचनाओं में इस बात की पुष्टि होती है। हालांकि, देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद मेडिकल आक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता बनी हुई है।
देश में ओमिक्रॉन के संक्रमण के चलते तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच यह खबर राहत पहुंचाने वाली है। दरअसल, अब तक जितने भी मामले मिले हैं, उनमें या तो बिना लक्षणों वाले हैं या हल्के लक्षणों के। प्रेस कांफ्रेंस में शुक्रवार को भूषण ने कहा कि देश ने अब तक दो कोरोना लहर का सामना किया है। सितंबर 2020 में जब पहली लहर पीक पर थी तो देश में किसी एक दिन में अधिकतम आक्सीजन की मांग 1000 मीट्रिक टन तक पहुंची थी। लेकिन, मई 2021 में दूसरी लहर के दौरान यह अधिकत 10 हजार मीट्रिक टन तक जा पहुंची थी। उसके बाद सरकार ने बड़े पैमाने पर मेडिकल आक्सीजन की उपलब्धता के इंतजाम किए।
देश में 494314 आक्सीजन बेड
उन्होंने कहा कि आज 18836 मीट्रिक टन मेडिकल आक्सीजन प्रतिदिन की उपलब्धता देश में है। ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के मद्देनजर राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। देश में 1810083 कोविड आइसोलेशन बेड, 494314 आक्सीजन बेड, 139300 आईसीयू बेड, 24057 पीडियाट्रिक आसीयू बेड तथा 64796 पीडियाट्रिक बेड का इंतजाम किया गया है।
ओमिक्रॉन के मामले डेढ़ से तीन दिन में दोगुना हो रहे
भूषण ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन समुदायों के माध्यम से तेजी से फैल रहा है। इसके मामले डेढ़ से तीन दिन में दोगुना हो रहे हैं। इसमें प्रतिरोधक क्षमता नजरंदाज करने की ताकत भी है।
बूस्टर डोज ले लेना इसका समाधान नहीं
साथ ही डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा कि बूस्टर डोज ले लेना इसका समाधान नहीं है। कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन करने के साथ-साथ पूर्ण टीकाकरण जरूरी है। साथ ही ओमिक्रोन के उपचार और बचाव का तरीका भी पूर्व की भांति रहेगा।
कोरोना संक्रमण के खिलाफ दो तरीके से कार्य करता है प्रतिरोधक तंत्र
भूषण ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के हवाले से यह भी कहा कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक तंत्र दो तरीके से कार्य करता है। एक टीके के कारण शरीर में उत्पन्न न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबाडीज संक्रमण को रोकती हैं। समय के साथ-साथ इनकी संख्या घटने लगती है। लेकिन, इसके साथ ही टी सेल के जरिये शरीर का दूसरा प्रतिरोधक तंत्र भी समानांतर रूप से कार्य करता है।