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पंजाब में किसानों ने निजी कंपनियों को बेचा रिकॉर्ड गेहूं

जालंधर

पंजाब में गेहूं की सरकारी खरीद इस साल 15 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है, जबकि निजी कंपनियों की खरीद 5 लाख टन के पार पहुंच गई है। 2007 के बाद ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है। यही नहीं बड़ी बात यह है कि बड़े पैमाने पर किसानों को एमएसपी से ज्यादा दाम गेहूं का मिला है। इसकी वजह यह है कि एक तरफ बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट हो रहा है तो वहीं घरेलू मांग में भी अच्छी खासी डिमांड है। एक तरफ मार्च में ही गर्मी में बड़ा इजाफा होने के चलते देश में गेहूं की फसल कमजोर हो गई है तो वहीं रूस और यूक्रेन के बीच जंग के चलते दुनिया भर में मांग काफी बढ़ गई है। यही वजह है कि भारत के किसानों से गेहूं की फसल हाथोंहाथ खरीदी जा रही है।  

पंजाब में रविवार शाम तक फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया समेत सरकारी एजेंसियों ने 83.49 लाख टन गेहूं की खरीद की है। पंजाब के एक मंडी अधिकारी का कहना है कि अब खरीद की प्रक्रिया काफी धीमी हो चुकी है। ऐसे में लगता है कि इस बार गेहूं की खरीद 100 लाख टन का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी। सेंट्रल पूल में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले पंजाब से बीते साल 132.14  लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। लेकिन इस बार आंकड़ा 100 लाख टन से भी कम रहने की उम्मीद है। इससे पहले 2007 और 2006 में यह आंकड़ा 100 लाख टन से नीचे गया था।

उस दौरान भी प्राइवेट खरीद काफी ज्यादा हो गई थी। 2006 में पंजाब में गेंहू की निजी कंपनियों ने 13.12 लाख टन की खरीद की थी। इसके अलावा 2007 में 9.8 लाख टन की खरीद की गई थी। उस दौरान भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की मांग बहुत अधिक थी। इस साल अब तक 4.61 लाख टन गेहूं की खरीद निजी कंपनियों ने की है, जो बीते साल महज 1.14 लाख टन ही थी। इसके अलावा 2018, 2019 और 2020 में गेहूं की खरीद का आंकड़ा 2 लाख टन के करीब ही रह गया था। एक अधिकारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले 3 से 4 दिनों में गेहूं की खरीद 5 लाख टन के पार पहुंच सकती है। 2007 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है।

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