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पहली बारः भारत ने अमेरिका से पोर्क के आयात की इजाजत दी

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अमेरिका ने कहा है कि भारत अमेरिकी पोर्क और उससे बनने उत्पादों का आयात करेगा. ऐसा पहली बार होगा जब अमेरिका से पोर्क के उत्पाद भारत को निर्यात किए जाएंगे. अमेरिका ने उसके कृषि उत्पादों पर लगी पाबंदियां हटाने का स्वागत किया है. अमेरिकी कृषि मंत्री टॉम विलसैक और अमेरिकी वाणिज्य प्रतिनिधि (USTR) कैथरीन टाई ने बयान जारी कर यह जानकारी दी. विलसैक ने कहा, "दो साल से अमेरिकी पोर्क के लिए भारतीय बाजार में जगह पाने की कोशिशें हो रही थीं. यह नया अवसर उन कोशिशों का अंजाम है और दिखाता है कि भारत-अमेरिका वाणिज्य संबंध सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.”

अमेरिकी उत्पादों को बढ़त
कैथरीन टाई पिछले साल नवंबर में भारत गई थीं. तब ट्रेड पॉलिसी फोरम में उन्होंने इस बारे में बात की थी. उन्होंने अमेरिकी पोर्क के भारतीय बाजार तक पहुंच को जरूरी बताया था. भारत के इस फैसले पर उन्होंने कहा, "हम भारत सरकार के साथ काम करते रहेंगे ताकि अच्छी गुणवत्ता वाले अमेरिकी उत्पाद जल्द से जल्द भारत पहुंचने शुरू हो जाएं.” टेक कंपनी एप्पल ने 16 महीने और 15 दिन में 2 ट्रिलियन डॉलर से 3 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप का मुकाम हासिल कर लिया. यह उपलब्धि हासिल करने वाली एप्पल दुनिया की पहली कंपनी है. 2020 में अमेरिका पोर्क का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था. यूएसटीआर के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में 7.7 अरब डॉलर के पोर्क की बिक्री होती है. पिछले साल अमेरिका ने भारत को 1.6 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात किया था.

भारत-अमेरिकी ट्रेड पॉलिसी फोरम बीच में बंद हो गई थी लेकिन 2021 में इसे फिर से शुरू किया गया. इसका मकसद कृषि उत्पादों के आयात-निर्यात पर विशेष ध्यान देना था. भारत और अमेरिका में उस दौरान सहमति बनी थी कि अमेरिकी चेरी, अल्फाल्फा और सूखे अनाज और भारत के आम, अंगूर, झींगे और भैंस के मांस का आयात-निर्यात बढ़ाया जाएगा.

विशेष दर्जे का इंतजार
सितंबर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की थी. तब दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए थे कि दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्रों के बीच व्यापारिक संबंधों का विस्तार किया जाएगा. भारत काफी समय से अमेरिका से प्राथमिकता वाले देश का दर्जा पाने की कोशिश कर रहा है. यह अमेरिका की एक योजना है जिसे जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफेंसेज कहा जाता है. इस योजना के तहत अमेरिका विकासशील देशों के कुछ उत्पादों को अपने बाजार में कर-मुक्त निर्यात की इजाजत देता है. 2020 में भारत का यह दर्जा खत्म हो गया था.

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