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फैमिली पेंशन से लोन भरती रहीं पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी, मिसाल हैं सादगी के किस्से

नई दिल्ली

देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद एक सवाल पूरे देश के मन में था, 'अगला प्रधानमंत्री कौन'? दो हफ्ते बाद पूर्व गृह मंत्री लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म सन् 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। आज ही के दिन सन् 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनका देहांत हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री की मौत जिन परिस्थितियों में हुई, उसकी वजह से आज भी इसको लेकर कई रहस्य बरकरार हैं। अपनी सादगी के लिए मशहूर शास्त्री जी ने कई मौकों पर साबित किया कि वह भारत के सबसे विनम्र प्रधानमंत्रियों में से एक थे।  

1. भारत के गृह मंत्री रहते हुए एक बार लाल बहादुर शास्त्री को कलकत्ता से दिल्ली के लिए फ्लाइट पकड़नी थी। फ्लाइट शाम की थी और सड़क पर जाम की वजह से शास्त्री का समय से एयरपोर्ट पहुंचना लगभग असंभव था। इसलिए, पुलिस कमिश्नर ने फैसला किया कि वह शास्त्री की गाड़ी की बजाय साइरन वाली गाड़ी भेजेंगे, ताकि सड़कें क्लियर हो सकें। हालांकि, लाल बहादुर शास्त्री ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे कलकत्ता के लोगों को लगेगा कि कोई विशिष्ट व्यक्ति सड़क पर निकला है।

2. प्रधानमंत्री बनने के बाद, एक बार शास्त्री को किसी राज्य का दौरा करना था। हालांकि, कुछ अर्जेंट काम की वजह से आखिरी समय में उन्हें यह दौरा रद्द करना पड़ा। राज्य के मुख्यमंत्री ने जब शास्त्री से दौरा रद्द न करने की विनती की क्योंकि, उन्होंने  पीएम के लिए फर्स्ट क्लास प्रबंध कर रखे थे, तो शास्त्री ने कहा, 'आपने एक थर्ड क्लास व्यक्ति के लिए फर्स्ट क्लास प्रबंध क्यों किए?'
 
 3. सन् 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जारी थी और देश में खाद्य संकट गंभीर स्तर पर पहुंच गया था। उसपर भी अमेरिका अनाज का निर्यात बंद करने की धमकी दे रहा था। ऐसे समय में शास्त्री जी ने अपने परिवार से  कुछ दिनों तक एक वक्त का खाना न खाने के लिए कहा। शास्त्री जी ने कहा, 'कल से एक हफ्ते तक शाम को चूल्हा नहीं जलेगा'। उन्होंने कहा कि बच्चों को दूध और फल दिए जा सकते हैं लेकिन बड़े एक वक्त भूखे रहें। यह सुनिश्चित करने के बाद कि उनका अपना परिवार एक समय के भोजन के बिना जिंदा रह सकता है, उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के जरिए देश के लोगों से भी कम से कम हफ्ते में एक बार भोजन छोड़ने की अपील की। कुछ हफ्तों तक रेस्तरां और अन्य खाने की दुकानों ने सख्ती से इस नियम का पालन भी किया।

4. एक बार की बात है जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे तो उनके बेटे ने ड्राइव पर जाने के लिए पिता के दफ्तर की गाड़ी का इस्तेमाल कर लिया। अगले ही दिन शास्त्री जी ने सरकार के खाते में उतनी राशि जमा करवाई, जितना खर्चा गाड़ी का निजी इस्तेमाल करने में हुआ था।

5. यह कहा जाता है कि जब सन् 1966 में लाल बहादुर शास्त्री का निधन हुआ, उस वक्त भी उनके नाम पर कोई घर या जमीन नहीं थी। उनके जाने के बाद एक लोन था जो उन्होंने पीएम बनने के बाद एक फिएट गाड़ी खरीदने के वास्ते सरकार से लिया था। शास्त्री जी के निधन के बाद, बैंक ने उनकी पत्नी से ललिता शास्त्री से लोन चुकाने के लिए कहा, जो उन्होंने फैमिली पेंशन से चुकाया।

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