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मुंबई की अलग-अलग कंपनियों के करोड़ों के फ्रॉड केस सीबीआई ने दर्जन भर ठिकानों पर मारे छापे

मुंबई । मुंबई की कंपनियों के अलग-लग फ्रॉड के मामले सामने आए हैं. सीबीआई ने इन केसेस की जांच के सिलसिले में मुंबई समेत देश भर के करीब 12 ठिकानों पर छापे मारे। मुंबई के अंधेरी इलाके में एक फ्रॉड केस के आरोपी के ऑफिस से 90 हजार 413 डॉलर और 1 करोड़ 99 लाख रुपए बरामद किए. बताया गया है कि सीबीआई ने 30 दिसंबर को मुंबई की कंपनी पीएसएल लिमिटेड और इसके डायरेक्टरों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी. इन पर कैनरा बैंक पंजाब नेशनल बैंक आईडीबीआई बैंक और एग्जिम बैंक के साथ 217 करोड़ 37 लाख रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है. दर्ज शिकायतों के मुताबिक पाइपों के निर्माण और कोटिंग का काम करने वाली इस कंपनी ने बैंक से लोन लिया और उन पैसों को सही जगह लगाने की बजाए कहीं और लगा दिया. यह फर्जीवाड़ा 2010 से 2015 के बीच हुआ. सीबीआई ने देश भर में जिन 12 ठिकानों पर छापमारियां कीं उनमें से 8 ठिकाने मुंबई के हैं. बाकी एक-एक ठिकाने दिल्ली नोएडा कच्छ औ दमन से जुड़े हैं. डीएन सहगल के अंधेरी ऑफिस से एजेंसी ने 90413 डॉलर और 1.99 करोड़ रुपए बरामद किए. इनके अलावा कई अहम दस्तावेज भी जब्त किए गए. इसके अलावा एक और केस में सीबीआई ने मुंबई के ही दो अन्य फर्मों के खिलाफ भी केस दर्ज किया. इन पर भी बैंकों को 6 हजार 645 करोड़ का चूना लगाने का आरोप है. इनमें से एक एफआईआर बैंक ऑफ बड़ोदा की शिकायत पर प्रतिभा इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इसके चार डायरेक्टरों के खिलाफ दर्ज की गई है. शिकायत करने वाले बैंक के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम करने वाली इस कंपनी ने 4 हजार 957 करोड़ 31 लाख का कर्ज 17 बैंकों के कंसोर्टियम से लिया इनमें से प्रमुख रूप से बैंक ऑफ बड़ोदा शामिल है. जांच में यह पाया गया के इस कंपनी ने इन रुपयों को साल 2014 से 2017 के बीच सही जगह लगाने की बजाए कहीं और घुमा दिया. सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक कंपनी ने अपना टर्न ओवर ज्यादा बताने के लिए फर्जी लेन-देन की भी एंट्री दिखाई. दिसंबर 2017 में कंपनी के अकाउंट को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया गया. इसी प्रकार मुंबई की एक और कंपनी और इसके चार डायरेक्टरों के खिलाफ करोड़ों की धोखाधड़ी करने का केस दर्ज हुआ है. इस कंपनी का नाम वडराज सीमेंट लिमिटेड है. इस कंपनी ने 10 बैंकों के कंसोर्टियम से 1688 करोड़ 41 लाख का कर्ज लिया और फिर इसमें हेराफेरी की. इस मामले में शिकायत करने वाला सबसे अहम पंजाब नेशनल बैंक है. संबंधित कंपनी ने पीएनबी से गुजरात में सूरत के मोरा और कच्छ के ठुमडी में सीमेंट फैक्ट्री लगाने के लिए कर्ज मांगा. कर्ज मिलने के बाद कंपनी ने पैसे सीमेंट फैक्ट्री लगाने के लिए ना लगाकर कहीं और घुमा दिए. यह फर्जीवाड़ा साल 2009 से 2018 तक चलता रहा. इस कंपनी का भी अकाउंट साल 2018 के 20 मार्च को एनपीए घोषित कर दिया गया.

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