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भगोड़े संदेसरा ब्रदर्स बोले- हम 900 करोड़ देने को तैयार, बस CBI केस खत्म कर दे

नई दिल्ली

स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड के प्रमोटर चेतन जयंतीलाल संदेसरा और नितिन संदेसरा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा मामला दर्ज करने के बाद देश छोड़कर भाग गए थे। उनके खिलाफ लगभग 1,500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से पूछा कि अगर संदेसरा ब्रदर्स 900 करोड़ जमा कर दे तो क्या उनके खिलाफ दर्ज मामले खत्म किए जा सकते हैं? न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि जब केंद्र सरकार बिना किसी धन की वसूली के दुनिया भर में कई भगोड़ों का असफल रूप से पीछा कर रही है, तो अगर कोई आरोपी पर्याप्त राशि चुकाने के लिए तैयार है तो उसके लिए उत्तरदायी होना चाहिए।

पीठ ने कहा, “आखिरकार ये पैसे से जुड़े अपराध हैं। ये शारीरिक चोट से जुड़े अपराध नहीं हैं। सरकार को पुनर्भुगतान के प्रस्तावों को सकारात्मक रूप से देखना चाहिए। अगर पैसे वापस करके कुछ कार्यवाही समाप्त की जा सकती है, तो बिना पैसे लिए सब कुछ जारी रखने पर जोर क्यों दिया जाए?'' अदालत ने सीबीआई की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, “आप (सरकार) बिना पैसे लिए दुनिया भर में लोगों का पीछा कर रहे हैं। इसलिए, जब आपको पर्याप्त राशि मिल रही है, तो कुछ ऐसा होना चाहिए जिसे आप केस समाप्त करने के लिए तैयार हों।”
 

तीन महीने में 900 करोड़ वापस करने की पेशकश
पीठ गुजरात स्थित फार्मा कंपनी के प्रमोटरों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो सीबीआई द्वारा मल्टी-कोर बैंक धोखाधड़ी मामले में मामला दर्ज करने के बाद 2018 में नाइजीरिया भाग गए थे। अदालत के समक्ष अपनी याचिका में संदेसरा बंधुओं ने कहा कि सीबीआई की चार्जशीट ने धोखाधड़ी की राशि को 1500-करोड़ रखा है, जिसमें से 600 करोड़ पहले ही बैंकों को चुकाए जा चुके हैं। उन्होंने तीन महीने के भीतर बकाया राशि का भुगतान करने की पेशकश की जो कि 900 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके लिए उन्होंने सीबीआई द्वारा दोनों भाइयों के खिलाफ आपराधिक मामले को रद्द करने की शर्त रखी है।

केंद्र सरकार ने किया विरोध
एएसजी राजू ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए जोर देकर कहा कि देश के सबसे बड़े आर्थिक घोटालों में से एक के आरोपियों की जांच की जा रही है। कुल धोखाधड़ी राशि वास्तव में लगभग 14,000 करोड़ हो सकती है। राजू ने कहा कि संदेसरा अदालत द्वारा किसी भी तरह के अनुग्रह के लायक नहीं हैं क्योंकि उन्होंने जांच में शामिल नहीं होने का फैसला किया और कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गए।

ईडी ने जब्त की है 28 हजार करोड़ की संपत्ति
संदेसरा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने प्रस्तुत किया कि सीबीआई की अपनी चार्जशीट में धोखाधड़ी की राशि 1,533 करोड़ उल्लेख किया गया है। जब वे उस राशि को वापस भुगतान करने के लिए तैयार हैं तो आपराधिक मामले की तलवार उसके मुवक्किलों पर नहीं लटकनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी 28,000 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी के पास है, जिसका एकमात्र मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उनके मुवक्किलों को सलाखों के पीछे डाला जाए।

इस पर पीठ ने राजू से कहा: “आप केवल अपनी चार्जशीट से चिंतित हैं जो कि 1500 करोड़ रुपए की बात करती है। अगर वह उस तरह का पैसा वापस लाता है, तो सरकार क्या करने को तैयार है? इसे सरकार के सामने रखें और कुछ उचित लेकर आएं।" पीठ ने कहा, "उन्हें देश वापस आने के लिए सुविधा दें। हम सभी अपराधों को सफेद नहीं कर रहे हैं लेकिन उचित प्रतिक्रिया होनी चाहिए। सवाल यह है कि अगर वे 1,000 करोड़ लाते हैं तो क्या कार्यवाही समाप्त की जा सकती है। क्या रियायतें दी जा सकती हैं? हम आपराधिक कार्यवाही के बारे में चिंतित हैं। बाकी कार्यवाही चल सकती है।”

इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 8 मार्च को तय की।
सीबीआई ने अक्टूबर 2017 में 2004-2012 के बीच कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में स्टर्लिंग बायोटेक, उसके निदेशक चेतन, नितिन, दीप्ति चेतन संदेसरा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित और विलास जोशी, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हाथी, आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक अनूप प्रकाश गर्ग और कुछ अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। । ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले का संज्ञान लेने के बाद मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। भाइयों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर अगस्त 2017 में खोला गया था।

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