देश

पाकिस्तानी महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन, पहली बार सुप्रीम कोर्ट की जज बनेंगी एक महिला

इस्लामाबाद
किसी देश के सिस्टम के शिखर पर किसी महिला की पहुंचना ऐतिहासिक ही होता है। जैसे पहली बार अमेरिका में एक महिला का उपराष्ट्रपति बनना हो या पाकिस्तान में एक महिला का पहली बार सुप्रीम कोर्ट का जज बनना हो। महिलाओं को अधिकार देने को लेकर विशेषकर एशियाई देशों ने हमेशा से दिल छोटा रखा है और यही वजह है कि, पाकिस्तान, भारत और चीन जैसे देशों में किसी महिला का सिस्टम के किसी भी हिस्से में टॉप पर पहुंचना सुर्खियां बनाता है। नहीं तो चांद मंगल पर पहुंचने वाली आज की दुनिया में किसी महिला का, किसी देश की सुप्रीम कोर्ट में जज बनना अखबारों की हेडलाइंस या टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग नहीं बनता है।

पहली बार सुप्रीम कोर्ट में महिला जज
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट को पहली बार कोई महिला जज मिला है और लाहौर हाई कोर्ट की जस्टिसआयशा मलिक अब पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनने वाली हैं। पाकिस्तानीअखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता में पाकिस्तान केन्यायिक आयोग (जेसीपी) ने गुरुवार को न्यायमूर्ति आयशा मलिक को पांच मतों के बहुमत से सुप्रीमकोर्ट का जज बनने को लेकर मंजूरी दे दी है।खासकर ये बात काफी महत्वपूर्ण है कि, यह दूसरी बारथा जब जेसीपी ने न्यायमूर्ति आयशा मलिक की पदोन्नति पर निर्णय लेने के लिए बैठक की थी। उनकानाम पहली बार पिछले साल 9 सितंबर को चर्चा के लिए लिया गया था, लेकिन बाद में चार के मुकाबलेचार मतों के बराबर होने के कारण उनका नाम खारिज कर दिया गया था।

बार एसोसिएशन ने किया था विरोध
न्यायमूर्ति आयशा मलिक को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति को लेकर पाकिस्तानके सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ अफरीदी ने देशव्यापी विरोध का आह्वानभी किया था। अफरीदी ने मीडिया को बताया था कि जस्टिस मलिक देश के पांच हाई कोर्ट में सेवारतकई जजों से जूनियर हैं।गुरुवार को पाकिस्तान बार काउंसिल (पीबीसी) ने धमकी दी थी कि अगरजेपीसी ने जस्टिस आयशा मलिक के नाम को पदोन्नति के लिए मंजूरी दे दी तो वे अदालतों काबहिष्कार करेंगे। हालांकि, पाकिस्तान के न्यायिक आयोग की सिफारिश पर अब संसदीय समितिविचार करेगी। ज्यादातर मामलों में, यह समिति जेसीपी की सिफारिश से सहमत होती है, जिसका अर्थहै कि न्यायमूर्ति आयशा मलिक अब पाकिस्तान की पहली महिला सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीशबनने के करीब पहुंच चुकी हैं।

कौन हैं जस्टिस आयशा मलिक?
हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम ग्रेजुएट, न्यायमूर्ति आयशा मलिक 2012 में लाहौर उच्च न्यायालय मेंन्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले एक प्रमुख कॉर्पोरेट और वाणिज्यिक कानून फर्म मेंपार्टनर थीं। वह वर्तमान में लाहौर उच्च न्यायालय में चौथी सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वह अपनेअनुशासन, निष्पक्षता और अखंडता के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने कई प्रमुख संवैधानिक मुद्दों परसख्त फैसले लिए हैं, जिसमें चुनावों में संपत्ति की घोषणा, गन्ना उत्पादकों को भुगतान और पाकिस्तानमें अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को लागू करना शामिल है।

2031 तक करेंगी काम
यदि आयशा मलिक को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में प्रमोशन दिया जाता है, तो न्यायमूर्तिआयशा मलिक जून 2031 तक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करेगी। दिलचस्प बातयह है कि 2031 में 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने से पहले, न्यायमूर्ति आयशा मलिक पाकिस्तानके सर्वोच्च न्यायालय में सबसे वरिष्ठतम न्यायाधीश होंगी और बहुत मुमकिन है कि, वो पाकिस्तानसुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस भी हो सकती हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button