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चौथी लहर को रोकने के लिए सीवेज सैंपलिंग की मदद लेगा भारत, WHO ने भी लगाई है मुहर

 नई दिल्ली

कुछ राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों और चौथी लहर की आहट के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महामारी के फिर से संभावित प्रसार पर पैनी नजर रखनी शुरू कर दी है। देशभर में 60 सेंटीनल सर्विलांस साइट्स के जरिये सीवेज के नमूने लेकर कोरोना संक्रमण के रुझान पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, अभी किसी राज्य में इसके फैलाव के संकेत नहीं मिले हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के अनुसार, कोरोना पर बने सलाहकार समूह की सिफारिश पर देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित 60 सेंटीनल सर्विलांस साइट पर सीवेज के नमूने एकत्र किए जा रहे हैं। ये वही साइटें हैं जो पोलियो के संक्रमण का पता लगाने के लिए सीवेज के नमूनों की जांच करती हैं।

डब्ल्यूएचओ ने भी जांच पर लगाई है मुहर
वायरस संक्रमण से होने वाली बीमारियों की पहचान के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने भी सीवेज के नमूनों के जरिये वायरस की जांच को एक बेहतरीन उपाय माना है। कोरोना की दूसरी एवं तीसरी लहर के दौरान भी कुछ स्थानों पर ऐसी जांच की गई थी, जिससे बीमारी के फैलाव को समझने में सहायता मिली थी।
 

ऐसे की जाती है जांच
इन सर्विलांस साइट से सीवेज के नमूने एकत्र कर उन्हें प्रयोगशाला में भेजकर कोरोना वायरस की जांच की जाती है। वायरस पाए जाने पर उन्हें आगे जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) भेजा जाता है। सीवेज के जरिये जांच से दो तरह के नतीजे निकाले जाते हैं। एक, क्या किसी क्षेत्र विशेष में कोरोना संक्रमण का प्रसार बढ़ रहा है। दूसरे, संक्रमण के लिए जिम्मेदार वेरिएंट कौन सा है, जो जीनोम सिक्वेंसिंग के बाद पता चलता है।

इसलिए बढ़ रही संक्रमण दर
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कुछ राज्यों में संक्रमण दर बढ़ने की वजह सिर्फ लक्षित नमूनों की जांच होना है। टेस्ट कम हो रहे हैं तथा उन्हीं लोगों के हो रहे हैं, जिनमें बुखार जैसे लक्षण हैं। इसलिए संक्रमण दर ऊंची है। राज्यों को कहा गया है कि वह क्लस्टर संक्रमण और उसके फैलाव पर नजर रखें।

10 फीसदी से ज्यादा संक्रमण दर
भूषण ने कहा कि राज्यों को दिशा-निर्देश किए गए हैं कि यदि एक सप्ताह की संक्रमण दर 10 फीसदी से ज्यादा रहती है या कोरोना बिस्तर 40 फीसदी तक भर जाते हैं, तो फिर राज्य अपनी जरूरत के हिसाब से प्रतिबंध लगा सकते हैं। जब डिजास्टर मैनेजमेंट कानून हटाया गया था, तभी राज्यों को यह निर्देश दिया गया था। यह निर्देश आज भी प्रभावी है।

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