बच्चों में संक्रमण ज्यादा ,घबराएं नहीं, बच्चों का रखें पूरा ख्याल-डॉक्टरों की सलाह
नई दिल्ली
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में कोरोना के संक्रमण ने फिर जोर पकड़ा है। हालांकि इस बार वायरस का असर बच्चों पर ज्यादा देखा जा रहा है। लेकिन बड़ी बात यह है कि बच्चे और बड़े सभी में संक्रमण के बाद भी एडमिशन की जरूरत नहीं पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि 100 में से किसी एक बच्चे को एडमिशन की जरूरत पड़ रही है। यहां तक कि दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल में मात्र एक बच्चा एडमिट है, मैक्स हॉस्पिटल के किसी भी ब्रांच में एक भी बच्चा कोविड की वजह से एडमिट नहीं है। लगभग यही स्थिति बाकी सेंटरों की भी है।
एलएनजेपी के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि उनके यहां कुल 4 मरीज एडमिट हैं, लेकिन इसमें से मात्र एक 7 साल का बच्चा है। उसकी हालत भी स्थिर है। उन्होंने कहा कि बच्चे को बुखार, दस्त की वजह से एडमिट करना पड़ा। उसे सांस लेने या लंग्स से संबंधी कोई दिक्कत नहीं हो रही है। इसलिए घबराने वाली बात नहीं है। इस बार मामले बहुत कम आएंगे। एडमिशन की जरूरत बहुत कम पड़ेगी। हालांकि उन्होंने बताया कि अस्पताल में अभी भी कोविड के लिए 250 बेड्स रिजर्व हैं, इसमें से औसतन सभी बेड आईसीयू व ऑक्सीजन बेड्स हैं।
महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक्स डॉक्टर हरीश चौधरी ने बताया कि फोन पर सलाह के लिए कॉल तो बहुत आ रहे हैं। लेकिन 10 में से कोई एक टेस्ट ही करा रहा है। उन्हें लगता है कि वायरल फीवर ही होगा। अच्छी बात यह है कि चार से पांच दिन में ठीक हो जा रहे हैं इसलिए वो आगे न जांच करा रहे हैं और न ही अस्पताल जा रहे हैं। इसलिए मामले बढ़ने के बाद भी स्थिति बेहतर है। उन्होंने कहा कि अभी तक मैंने जितने मामले देखे हैं, उसमें से 100 में से किसी एक बच्चे को एडमिशन की जरूरत पड़ रही है। खासकर जो बच्चे मुंह से खाना पीना नहीं ले पा रहे हैं, वो डिहाइड्रेशन के शिकार हो जा रहे हैं, उन्हें एडमिट करना पड़ रहा है।
मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी के पीडियाट्रिक्स डॉक्टर अरविंद तनेजा ने कहा कि ओपीडी में मामले जरूर बढ़े हैं, लेकिन अभी तक एक भी एडमिशन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर को बुखार के साथ सर्दी-जुखाम ही हो रहा है, जो दवा से भी ठीक हो जा रहे हैं। यहां पर सबसे जरूरी है कि माता-पिता बच्चों का ख्याल रखें, पानी या लिक्विड देते रहें। पैनिक न हों, स्थिति बिल्कुल कंट्रोल में है। वहीं रेनबो हॉस्पिटल की पीडियाट्रिक्स डॉक्टर अनामिका दूबे ने कहा कि अभी भी फीवर के मरीज ही ज्यादा आ रहे हैं। जरूरी है कि बचाव का ध्यान रखें और जैसे ही लक्षण दिखे उन्हें आइसोलेट करें और डॉक्टर के संपर्क में रहें।
पीडियाट्रिक्स एक्सपर्ट और दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेजिडेंट डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा कि पिछले 10 दिनों में 10 गुणा संक्रमण दर बढ़ गया है। लेकिन एडमिशन नहीं बढ़ा है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि इस बार बच्चों के केस ज्यादा हैं। इसकी वजह यह है कि बच्चे दो साल से एक्सपोज नहीं हुए थे। उनके पास इम्युनिटी नहीं थी। ऊपर से स्कूल खुल गए हैं, बच्चे नियमों का पालन नहीं कर सकते, 12 साल से कम उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, इसलिए इन बच्चों में संक्रमण बढ़ा है। डॉक्टर हरीश चौधरी ने कहा कि मेरी अपनी राय है कि प्री प्राइमरी और प्राइमरी के स्कूल कुछ दिनों के लिए बंद किए जाएं। अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि कौन सा स्ट्रेन है। इस पर स्टडी चल ही रही है। जो बच्चे संक्रमित हो जाएं उन्हें आइसोलेशन में रखें।
संक्रमण दर 7.72%, अस्पतालों में एडमिशन अब भी कम
दिल्ली में कोरोना की रफ्तार अब तेजी होने लगी है। सोमवार को संक्रमण दर 7.72 प्रतिशत पहुंच गई। 501 नए मरीजों की पुष्टि हुई। 24 घंटे दिल्ली में संक्रमण दर में 3.51 प्रतिशत का इजाफा हुआ। हालांकि, अब भी अस्पतालों में एडमिशन कम है। रविवार तक दिल्ली में 37 मरीज एडमिट थे। सोमवार को इसमें तीन की बढ़ोत्तरी हुई और संख्या 40 पहुंच गई। सोमवार को सिर्फ 6492 सैंपल की जांच की गई और 290 मरीज रिकवर हुए। किसी मरीज की मौत नहीं हुई। अब दिल्ली में कोविड के एक्टिव मरीजों की संख्या 1729 हो गई है।