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मैरिटल रेप: अपने रूख पर यू टर्न ले सकती है केंद्र सरकार, हाईकोर्ट से विचार के लिए मांगा समय

 नई दिल्ली

वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग का विरोध करने के अपने रूख पर केंद्र सरकार पुनर्विचार कर रही है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को उच्च न्यायालय में यह जानकारी दी है। सरकार ने कहा है कि इस मलसे पर वह अपने पहले के रूख पर दोबारा से विचार कर रही है और जल्द ही न्यायालय को अवगत कराया जाएगा। जस्टिस राजीव शकधर और सी. हरि शंकर की पीठ ने इस पर कहा कि केंद्र सरकार को इस मसले पर कोई निर्णय लेने की जरूरत है। सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने पीठ से कहा है कि ‘सॉलिसीटर जनरल’ ने कहा है कि हम पहले के हलफनामे पर पुनर्विचार कर रहे हैं। सरकार ने 2017 में हलफनामा दाखिल करते हुए वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग का विरोध किया था।

न्यायमूर्ति शकधर ने कहा कि वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने के मुद्दे का समाधान करने के लिए सिर्फ दो तरीके हैं, कोर्ट का फैसला या कानून बनाकर। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ट नहीं करता है तो कोर्ट पेश तथ्यों व रिकार्ड में उपलब्ध हलफनामे के साथ आगे बढ़ेगी। उच्च न्यायालय ने साफ किया कि इस मसले के समाधान का कोई तीसरा तरीका नहीं है। पीठ ने सरकार से कहा कि आपको इस बारे में निर्णय लेने की जरूरत है कि क्या आप अपने जवाबी हलफनामे में अपनाए गए रुख पर कायम रहना चाहते हैं या इसे बदलेंगे।’ पीठ ने कहा कि यदि आप अपने रूख बदलना चाहते हैं तो इस बारे में जानकारी दें।

उच्च न्यायालय वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के लिए आईपीसी की धारा 375 के अपवाद को खत्म करने की मांग की है। अपवाद की वजह से 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी की मर्जी के बगैर पति द्वारा शारीरिक संबंध बनाए जाने को अपराध नहीं माना गया है।

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