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गांवों में बढ़ी बेरोजगारी के बीच मनरेगा के बजट में 25 फीसदी की कटौती, लॉकडाउन में काम आई थी स्कीम

 नई दिल्ली

केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करते हुए ग्राम विकास के लिए फंड बढ़ा दिया गया है। इस बार के आम बजट में गांवों के विकास के लिए 1 लाख 35 हजार 944 करोड़ रुपये की रकम आवंटित की गई है। लेकिन कोरोना काल के बाद से शहरों से लेकर गांवों तक बढ़ी बेरोजगारी के बीच मनरेगा का बजट कम कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये का ही बजट आवंटित किया गया है, जो मौजूदा वर्ष के मुकाबले 25 फीसदी कम है। इस फाइनेंशियल ईयर में मनरेगा के लिए 98 हजार करोड़ रुपये का बजट दिया गया था।

ऐसे में मनरेगा के बजट में कटौती बेरोजगारी को देखते हुए चिंताजनक है। दरअसल लॉकडाउन के दौर में 2020 में मनरेगा ने गांवों में बड़ा आर्थिक संकट खड़ा होने से बचा लिया था। यहां तक कि शहरों से पलायन कर गांवों में पहुंचे प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा के चलते मदद मिली थी। यूपी सरकार ने तो खास मिशन चलाकर मनरेगा स्कीम के तहत बड़ी संख्या में बेरोजगारों को काम दिया था। यहां तक कि 31 जनवरी को पेश किए गए आर्थिक सर्वे में भी मनरेगा को ग्रामीण रोजगार के लिए अहम माना गया था। मनरेगा के फंड में कटौती को विपक्ष की ओर से मुद्दा बनाया जा सकता है।

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया वीमन्स की प्रेसिडेंट अरुणा रॉय ने मनरेगा के बजट में कमी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, 'देश सर्वकालिक उच्च बेरोजगारी दर से गुजर रहा है। लेकिन सरकार यह नहीं सोच रही है कि मनरेगा के लिए उचित फंड जारी किया जाए ताकि बेरोजगारों को कुछ काम देकर राहत प्रदान की जा सके। यहां तक कि फंड में कटौती भी कर दी गई है। यह जो नया फंड जारी किया गया है, उससे महीने में 25 दिन का रोजगार देना भी मुश्किल होगा।'

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