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माँ को हुआ जोड़ो का दर्द डॉ शाह को प्रेरणा, जीरो तकनीक की खोज कर बने विश्व गुरु

नी रिप्लेसमेंट के विश्व गुरु सह शाल्बी  के संस्थापक अध्यक्ष प्रबन्ध निदेशक डक्टर विक्रम शाह का इंटरव्यू लेते सीनियर जॉर्नलिस्ट अजय मुखोपाध्याय
झारखंड
अहमदाबाद में जन्मे डॉ विक्रम शाह  ने एक इंटरव्यू में बताया कि 1980 के दशक में जॉइंट रिप्लेसमेंट को लेकर भारत जैसे विकासशील देश मे ज्यादा महत्व नही दिया जाता था.मुझे याद है जब मैं अहमदाबाद में एमबीबीएस और एमएस आर्थोपेडिक सर्जरी की पढ़ाई कर रहा था.तभी माँ को जोड़ो में दर्द हुआ.कालेज के प्रोफेसरों ने संबंधित सर्जरी को पढ़ाने के लिये ज्यादा महत्व नही दिया. उस दौर में घुटनो का रिप्लेसमेंट कठिन के साथ काफी महंगा उपचार था.घुटनो के दर्द से पीड़ित रोगी जॉइंट रिप्लेसमेंट कराने से घबराते थे.वही चिकित्सक भी रोगियों को संतुष्ट नही कर पाते थे.तब मैंने जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में उन्नत प्रशिक्षण लेने के लिये यूके जाने  प्रशिक्षण में महारत हासिल कर वापस भारत लौट जॉइंट सर्जरी के लिये सेंटर स्थापित करने का फैसला लिया.

1990 से 1992 तक यूनाइटेड किंगडम के ओरम्सकिर्क एंड राइटिंगटन अस्पताल में मिस्टर एजी हेस और मिस्टर टीयू मेनन के साथ काम किया और प्रशिक्षण में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद1993 में भारत वापस लौटा. इस बीच अहमदाबाद में छोटे भवन में रहते हुए 6बेड,एक ऑपरेशन थियेटर व कुछ कर्मचारियों के साथ अपना अस्पताल शुरू किया . इस बीच  स्विट्जरलैंड और जर्मनी में भी व्यापक प्रशिक्षण लिया. शेल्बी मेडिकल सेंटर, बर्मिंघम, अलबामा, यूएसए में डॉ ब्राइस ब्रोकिन के साथ फेलोशिप की. शेल्बी के साथ उस कार्यकाल का उन पर एक बड़ा प्रभाव होना था.शुरू किये गये अस्पताल का नाम शेल्बी ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, अहमदाबाद रखा.

पेशे के प्रति उनके जुनून और देश में बीमारों की सेवा करने की ललक ने दूरदर्शी उद्यमी, शेल्बी हॉस्पिटल के संस्थापक अध्यक्ष प्रबंध निदेशक डॉ विक्रम शाह को नी रिप्लेसमेंट में नई तकनीक जीरो टेक्निक ने बनाया देश विदेश में लोकप्रिय   – डॉ शाह ने बातचीत के क्रम में कहा 90 के दशक की शुरुआत तक टोटल नी रिप्लेसमेंट(TKR) विश्व स्तर पर सबसे खतरनाक सर्जरी में से एक थी. भारत मे लगभग 15करोड़  लोगों को घुटनों की समस्या से पीड़ित है.जिसमे 4करोड़ लोग ऐसे है जिनका दोनों घुटनों को बदलना जरूरी है.भारत की तुलना में चीन की बात करे तो चीन में 6.5करोड़ लोग घुटनो की समस्या से पीड़ित है.

भारत मे घुटनो की समस्या का मुख्य कारण अर्थराइटिस है.साथ ही अर्थराइटिस के प्रति अनुवांशिक रूप से ज्यादा से संवेदनशील व उनकी जीवन शैली है. शुरुआती दौर में विदेश से लोग नी रिप्लेसमेंट के लिये अहमदाबाद पहुंचे. डॉ विक्रम शाह की सर्जिकल प्रक्रिया नवाचार "ज़ीरो तकनीक" के माध्यम से टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) का लाभ लिया व अपने अनुभवों को साझा किया. डॉ शाह बताते है कि जीरो तकनीक एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से टोटल नी रिप्लेसमेंट (नवाचार सर्जिकल प्रक्रिया)  महज 8 से10मिनट में किया जाता है.प्रक्रिया में मरीज को न्यूनतम चीरा, न्यूनतम रक्त हानि, कम संक्रमण दर के कारण तेजी से रिकवरी का लाभ मिलता है.जिसके बाद रोगी टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद कुछ घंटों के भीतर चलना शुरू कर देता है.

2008 में 3000 लोगो के घुटनो का सफल इलाज किया गया.जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना गया.डॉ शाह कहते है शेल्बी अस्पताल ने अपने बेहतर सेवा के लिये कई पुरस्कार डॉ. बीसी रॉय ओरेशन, 2003,ओएस सुई के आविष्कार के लिए जॉनसन एंड जॉनसन से पुरस्कार,ज़िम्मर के डिजाइनरों के बोर्ड में नियुक्ति, प्रोस्थेटिक जोड़ों के निर्माता डॉ. शाह ने 2014: गुजरात इनोवेशन सोसाइटी के हरक्यूलिस अवार्ड को संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी के लिए "ज़ीरो" तकनीक के नवाचार के लिए प्राप्त किया।

राजीव गांधी राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कार,फिक्की गुणवत्ता पुरस्कार, जीआईएचईडी पुरस्कार,आईसीआईसीआई इमर्जिंग इंडिया अवार्ड, लाइफ साइंसेज आईसीआईसीआई इमर्जिंग इंडिया अवार्ड, टेक सेवी यस बैंक बिजनेस टुडे- बेस्ट एसएम नवाचार के लिए हरक्यूलिस पुरस्कार,फ्रॉस्ट एंड सुलिवन अवार्ड: वर्ष का व्यापक आर्थोपेडिक सेवा प्रदाता आईएमए मेडचाइवर्स अवार्ड 'शल्बी होम केयर' के लिए 'स्कॉच ऑर्डर ऑफ मेरिट' जीत एक प्रतिष्ठा स्थापित किया.अभी तक लगभग 125000 से ज्यादा लोगो के घुटनो की सफल सर्जरी कर पूरी दुनिया मे डॉ शाह लोकप्रिय है.

डॉ. शाह कहते है कि हमारा मिशन "भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाकर गुणवत्तापूर्ण मानव जीवन को बनाए रखना और बनाए रखना" है.यही वह उद्देश्य था जिसके साथ 1994 में शाल्बी यात्रा शुरू हुई थी. दो दशक बाद भी मंत्र में कोई बदलाव नहीं आया है.शेल्बी काम करने के तरीके में रोगी की संतुष्टि पहला और सबसे महत्वपूर्ण विचार है.हर दिन हमारी टीम और वरिष्ठ प्रबंधन कर्मचारी मरीजों से मिलते हैं और अस्पताल सेवाओं के साथ रिकवरी और रोगी संतुष्टि के स्तर की निगरानी करते हैं और लगातार सुधार करने का प्रयास करते हैं.

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