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मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की अड़चन दूर, सुप्रीम कोर्ट ने गोदरेज की याचिका पर विचार करने से इनकार किया

नई दिल्ली । मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन शुरू करने से संबंधित सभी समस्याएं अब खत्म हो गई हैं। बुलेट ट्रेन के रास्ते में आ रही आखिरी अड़चन भी दूर हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड की मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए उसकी 9.69 एकड़ जमीन के लिए अधिक मुआवजे की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय महत्व का है। 
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि अदालत याचिका पर विचार करने को तैयार नहीं है। पीठ ने कहा काफी पानी बह चुका है, जमीन पर कब्जा कर लिया गया है और निर्माण शुरू हो चुका है। रोहतगी ने बार-बार आदेश की वैधता पर सवाल उठाया। पीठ ने जवाब दिया कि वह कंपनी की याचिका पर विचार नहीं करेगी। मुख्य न्यायाधीश ने रोहतगी से कहा आपका मुआवजा 264 करोड़ रुपए नहीं होना चाहिए, यह 572 करोड़ रुपए होना चाहिए, आपके पास अभी सभी उपाय हैं और यह मुआवजे का भुगतान करने के लिए बंदूक उठाने जैसा होगा। पीठ ने रोहतगी से कहा यह केवल पैसे का सवाल है। यह एक राष्ट्रीय परियोजना है। 
दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि मुआवजे में वृद्धि के लिए कोई आवेदन दायर किया जाता है, तो उस पर छह सप्ताह के भीतर फैसला किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कंपनी को मुआवजा बढ़ाने के लिए कानूनी सहारा लेने की भी छूट दी। कंपनी की याचिका ने इस महीने की शुरुआत में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले की वैधता को चुनौती दी थी, जिसमें गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्च रिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसमें महाराष्ट्र सरकार द्वारा भूमि के मुआवजे के रूप में 264 करोड़ रुपये के अनुदान को चुनौती दी गई थी। 
गोदरेज समूह ने 39,252 वर्ग मीटर (9.69 एकड़) के अधिग्रहण के लिए 15 सितंबर, 2022 को डिप्टी कलेक्टर द्वारा 264 करोड़ रुपए के पुरस्कार और मुआवजे को चुनौती दी थी। कंपनी ने कहा शुरुआत में 572 करोड़ रुपए की पेशकश की गई थी और कानून के प्रावधानों को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की। हालांकि, हाईकोर्ट ने 9 फरवरी को अपने फैसले में बुलेट ट्रेन परियोजना को राष्ट्रीय महत्व और जनहित के रूप में वर्णित किया और याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि उसे पुरस्कार में या उचित मुआवजा अधिनियम की धारा 25 के पहले प्रावधान के तहत शक्तियों का प्रयोग करके एक पुरस्कार बनाने के लिए विस्तार देने में उपयुक्त सरकार द्वारा लिए गए निर्णय में कोई अवैधता नहीं मिली। मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (एमएएचएसआर) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पेट प्रोजेक्ट है और यह परियोजना, जो गुजरात, दादरा और नगर हवेली और महाराष्ट्र से होकर गुजरती है, उसे राष्ट्रीय हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) द्वारा निष्पादित किया जा रहा है।

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