अब पानी की कमी के कारण सीआरआइ कसौली में प्रभावित नहीं होगा वैक्सीन उत्पादन और टेस्टिंग
सोलन
केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (सीआरआइ) कसौली में अब वैक्सीन उत्पादन, टेस्टिंग व अन्य जरूरतों के लिए पानी की समस्या नहीं रहेगी। प्रदेश सरकार की ओर से कसौली क्षेत्र के लिए करीब 102 करोड़ से गिरी पेयजल योजना बनाई जा रही है। योजना के शुरू होने के बाद संस्थान में पानी की समस्या खत्म हो जाएगी। संस्थान ने इस योजना से पानी के लिए जलशक्ति विभाग के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन कर अपने शेयर का बजट भी जमा करवा दिया है।
संस्थान में प्रतिदिन 70 से 75 हजार लीटर पानी की आवश्यकता रहती है। गर्मियों में संस्थान को भी पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है। संस्थान विभिन्न जीवनरक्षक वैक्सीन के उत्पादन के लिए जाना जाता है। ऐसे में पानी की समस्या वैक्सीन उत्पादन पर भी असर डालती है। वर्तमान में संस्थान को एमईएस कसौली से पानी मिलता है, लेकिन अब इसके साथ संस्थान ने जलशक्ति विभाग के साथ एमओयू कर गिरी योजना में से भी पानी मुहैया करवाने के लिए प्रयास किए हैं। इस योजना के शुरू होते ही संस्थान को प्रतिदिन एक लाख लीटर से अधिक पानी रोजाना मिलेगा।
सीआरआइ ने 1.62 करोड़ रुपये जमा करवाए
कसौली के लिए बन रही गिरी योजना में पानी के लिए सीआरआइ ने जलशक्ति विभाग के साथ एमओयू किया है। इसमें संस्थान ने अपने शेयर के एक करोड़, 62 लाख रुपये जमा करवा दिए है। इस समझौते के अनुसार जल शक्ति विभाग संस्थान को एक लाख, 10 हजार लीटर पानी प्रतिदिन के हिसाब से मुहैया करवाएगा। वहीं, एमईएस से मिलने वाली आपूर्ति भी जारी रहेगी। गिरी पेयजल योजना के संचालन के लिए इन दिनों पाइपलाइन बिछाने का कार्य चल रहा है, संस्थान में डीपीटी जीएमपी लैब में वाटर प्लांट, आरएंडटी ङ्क्षवग, ड्रमबार, मुख्य परिसर के अलावा कर्मचारियों के आवास में भी पानी की समस्या से राहत मिलेगी।
भविष्य के प्रोजेक्ट को ध्यान में रखा
संस्थान में भविष्य में आने वाले जीएमपी एंटी सीरा प्रोजेक्ट्स में पानी की खपत को ध्यान में रखकर एमओयू साइन किया है। संस्थान के सहायक निदेशक व पीआरओ डा. यशवंत कुमार ने बताया कि गिरी योजना में संस्थान ने पानी की आवश्यकता को देखते हुए जलशक्ति विभाग के साथ एमओयू साइन किया हुआ है।