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PACL चिटफंड घोटाला: CBI ने 11 लोगों को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पीएसीएल चिटफंड घोटाले के मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस बात की जानकारी गुरुवार (23 दिसंबर) की सुबह दी गई। पीएसीएल कंपनी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 18 सालों में निवेशकों से कम से कम 49,100 करोड़ रुपये अवैध रूप से इकट्ठा करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। इसे भारत की सबसे बड़ी चिटफंड लूट भी कहा जाता है। पीएसीएल कंपनी का निर्माण1982 में हुआ था इसके तहत कई कंपनियों का निर्माण किया गया था। इसे बैन 2015 में लगाया गया था। रिपोर्ट के मुताहिक कंपनी ने 49,100 करोड़ रुपये निवेशकों से फायदा पहुंचाने के नाम पर ठगे थे।

पीएसीएल को 2015 में बाजार नियामक द्वारा 18 वर्षों में 58 मिलियन निवेशकों से कम से कम 49,100 करोड़ इकट्ठा करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। 2015 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा ने पीएसीएल की संपत्ति का निपटान करने और पैसे वापस करने के लिए कहा था। समिति ने 8 फरवरी 2019 को एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पीएसीएल निवेशकों से रिफंड के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करने को कहा था।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 27 अप्रैल 2021 को कहा था कि पीएसीएल लिमिटेड के 1,270,849 निवेशकों को, जिनका दावा 10,000 रुपये तक का था, उनको 31 मार्च 2021 तक कुल 438 करोड़ रुपये लौटा दिए गए हैं। बता दें कि पीएसीएल पर सबसे पहला केल 1997 में सेबी ने दर्ज किया था। कंपनी के कामकाज को संदेहास्पद मानते हुए सेबी ने ये केस दर्ज किया थी। 2003 में सेबी राजस्थान हाईकोर्ट से कंपनी के खिलाफ केस जीत गई थी।

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