राज्यसभा में राजीव की कमाई, सोनिया ने गंवाई,जुलाई तक और कमजोर हो जाएगी कांग्रेस
नई दिल्ली
पूर्वोत्तर की तीन राज्यसभा सीटें जीतने के साथ ही संसद के उच्च सदन में बीजेपी सदस्यों के संख्या पहली बार 100 का आंकड़ा छू गई। वर्ष 1988 के बाद बीजेपी पहली ऐसी पार्टी बन सकी जिसके राज्यसभा में 100 सदस्य हैं। आखिरी बार 33 वर्ष पहले कांग्रेस के 100 से ज्यादा राज्यसभा सांसद थे। राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 होती है। एक और बड़ी बात यह है कि पहली बार पूर्वोत्तर के किसी भी राज्य से कांग्रेस का कोई राज्यसभा सदस्य नहीं है। पूर्वोत्तर राज्यों की कुल 14 में से 13 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है जबकि असम की एक सीट से निर्दलीय अजित कुमार भुयां (Ajit Kumar Bhuyan) राज्यसभा सांसद हैं।
ताजा चुनाव में बीजेपी को मिलीं तीन सीटें
अभी हुए चार सीटों के चुनाव में बीजेपी ने त्रिपुरा सीट वहां की विधानसभा में अपनी ताकत की बदौलत जीत ली। नागालैंड में बीजेपी ने एक महिला कैंडिडेट एस. फांग्नोन कोनयक (S Phangnon Konyak) को उतारा था जो निर्विरोध जीत गईं। वही नागालैंड से राज्यसभा पहुंचने वाली पहली महिला हैं। असम की दो सीटों पर हुए चुनाव में वहां के सात कांग्रेस विधायकों ने भी बीजेपी-यूपीपीएल गठबंधन का साथ दिया। इसका श्रेय मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा को जाता है। गठबंधन को दोनों सीटें जीतने के लिए चार और वोटों की जरूरत थी।
जुलाई तक और कमजोर हो जाएगी कांग्रेस
कांग्रेस के मौजूदा सांसद रिपुन बोरा से उनकी सीट छिन गई। बीजेपी कैंडिडेट पबित्र मार्गेरिटा (Pabitra Margherita) और गठबंधन दल यूपीपीएल के रवांग्रा नार्जरी (Rwangra Narzary) चुने गए। इस तरह, राज्यसभा में बीजेपी के तीन और सदस्य बढ़ गए और कुल संख्या 100 हो गई। वहीं कांग्रेस पार्टी की ताकत 33 से घटकर 32 हो गई। जुलाई आते-आते कांग्रेस के 13 और राज्यसभा सांसद रिटायर हो जाएंगे और इनमें से ज्यादातर सीटों पर दुबारा उसके जीतने के चांस नहीं के बराबर हैं। तब बीजेपी की एकतरफा जीत लगभग तय है।
कैसे-कैसे बढ़ी बीजेपी
राज्यसभा में कांग्रेस के बाद सबसे बड़ा विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस है जिसके 13 सांसद हैं। उसके बाद डीएमके 10 सांसदों के साथ तीसरे जबकि बीजू जनता दल (बीजेडी) नौ सीटों के साथ तीसरे नंबर पर है। सीपीआई-एम, टीआरएस, वाईएसआरसीपी के छह-छह सदस्य हैं। 1952 में कांग्रेस के 146 जबकि बीजेपी के मात्र एक राज्यसभा सांसद थे। फिर 1962-64 के दौरान कांग्रेस के 162 जबकि बीजेपी के 4, 1972-74 में कांग्रेस के 128 जबकि बीजेपी के 14, 1982-84 के दौरान कांग्रेस के 152 जबकि बीजेपी के 8, 1988-90 में कांग्रेस 108 जबकि बीजेपी के 17, 1990-92 में कांग्रेस के 99 और बीजेपी के 45, 2012-13 में कांग्रेस को 72 जबकि बीजेपी के 47 और अब 2022 में कांग्रेस के 29 जबकि बीजेपी के 100 सासंद हो गए हैं।
राजीव की कमाई, सोनिया ने गंवाई
प्रधानमंत्री राजीव गांधी सरकार के दौरान वर्ष 1988 में आखिरी बार राज्यसभा में कांग्रेस के 100 से ज्यादा सांसद थे। तब संसद में बीजेपी की ताकत सिर्फ दो लोकसभा सांसदों की थी, लेकिन अभी उसके 303 लोकसभा सदस्य हैं। बहरहाल, 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में 123 की मेजॉरिटी है और बीजेपी नेतृत्व का एनडीए अब सभी साधारण विधेयकों को बिना कठिनाई के पास करवाने में सक्षम हो गया है। बीजेपी के गठबंधन साथी जेडीयू के राज्यसभा में चार सांसद हैं। वहीं, पांच सांसदों वाली एएआईडीएमके और नौ सदस्यों वाली बीजेडी भी मुद्दों पर आधारित समर्थन देती रही है।
सपा-आप की भी बढ़ी ताकत
जुलाई के बाद राज्यसभा और बदल जाएगी। समाजवादी पार्टी (SP) और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसी पार्टियां भी राज्यसभा में ताकतवर हो रही हैं। आप को पंजाब से पांच राज्यसभा सीटें मिल चुकी हैं जिससे सदन में उसके सांसदों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। कुल मिलाकर राज्यसभा की स्थिति यह है कि बीजेपी से मुकाबले के लिए समूचे विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा। उनके पास नंबर नहीं हैं, इसलिए अब धारदार बहस के सिवा अपनी बात मनवाने का कोई और तरीका विपक्ष के पास बचा नहीं है।