गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा- सुरक्षा की तैनाती का खर्च नहीं चुकता कर रहे राज्य
नई दिल्ली।
रैली हो या दंगा नियंत्रण का काम,नक्सलरोधी लड़ाई हो या आतंक के खिलाफ जंग हर अहम मौके पर राज्यों में सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी संभालने वाले अर्धसैन्य बलो पर खर्च का जिम्मा राज्य सरकारें नहींउठा पा रही हैं। गृह मंत्रालय के एक पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षाबलों की राज्यों में तैनाती के एवज में करीब 63,156 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया है। बकाया राशि सीआरपीएफ,बीएसएफ और सीआईएसएफ को मिलाकर आवंटित सालाना बजट के करीब है। अगर बकाया राशि वापस मिल जाए तो जवानों के कल्याण की कई योजनाओं को आगे बढ़ाया जा सकता है। बार-बार याद दिलाने के बावजूद कई राज्य अपना बकाया भुगतान नहीं कर रहे। वहीं, कई राज्य सरकारों ने केंद्र पर अपने बकाया का हवाला देकर या अन्य वजहों के बहाने देनदारी माफ करने की मांग की है।
हर साल शुल्क में बदलाव
तैनाती शुल्क की पूर्व दर को 2019 में पुनर्निर्धारित किया गया था। जिसके आधार पर हर साल इसमे बढ़ोत्तरी होनी थी। वर्ष 2018-19 के लिए एक सीएपीएफ बटालियन की तैनाती के लिए वसूली योग्य राशि 52.40 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था। यह प्रति वर्ष सभी क्षेत्रों के लिए समान रूप से लागू था। नीति की व्यापक समीक्षा के बाद वर्ष 2019 में यह निर्णय लिया गया है कि पूरी लागत और निर्धारित लागत का केवल 10% शुल्क लिया जाएगा। तदनुसार, अप्रैल, 2019 से एक बटालियन के लिए प्रति वर्ष वसूली योग्य राशि में बदलाव किया गया। वर्ष 2019 – 20 में सामान्य क्षेत्रों के लिए प्रति सीएपीएफ बटालियन 13.70 करोड़ रुपये करोड़ निर्धारित की गई थी। जबकि उच्च जोखिम और मध्यम कठिनाई क्षेत्रों के लिए 25.18 करोड़ रुपये और उच्च जोखिम और उच्च कठिनाई के लिए 34.26 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया। साथ ही सभी क्षेत्रों में इन दरों में वार्षिक वृद्धि का प्रावधान है।
क्षेत्र के हिसाब से लागत
वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए प्रतिवर्ष सीएपीएफ की तैनाती की दर सामान्य क्षेत्रों के लिए, ₹17.36 करोड़ निर्धारित की गई है। उच्च जोखिम और मध्यम कठिनाई ₹28.85 करोड़ उच्च जोखिम और उच्च कठिनाई क्षेत्रों के लिए और ₹ 37.93 करोड़ तय की गई। एक अक्टूबर, 2021 की स्थिति के अनुसार, 63,156 करोड़ की कुल बकाया राशि विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में सीएपीएफ की तैनाती के विरुद्ध लंबित है।
राज्यों ने की माफ करने की मांग
रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के दिनों में छत्तीसगढ़, ओडिशा, त्रिपुरा, गोवा और उत्तराखंड राज्य सरकारों से शुल्क माफ करने के अनुरोध प्राप्त हुए हैं। राज्य अपनी विशेष स्थिति का हवाला देकर देनदारी से बचना चाहते हैं। कई बार राज्य व केंद्र में बकाया को लेकर विवाद भी हुआ है। हालांकि बार बार अनुरोध के बाद कुछ राज्यों ने बकाया राशि के एक हिस्से का भुगतान कर दिया है।
हवाई अड्डे पर भी करोड़ों बकाया
गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट में बताया है कि हवाई अड्डों, सीपीएसयू और अन्य पर सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती के लिए भी भारी भरकम राशि चुकता नहीं की गई है। हवाई अड्डे पर तैनाती के एवज में 5040.40 करोड़ रुपया बकाया है। इसका व्याज 422.28 करोड़ रुपये है यानी कुल 5462.68 करोड़ रुपये बकाया के रूप में लंबित है। सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों – पीएसयू पर तैनाती का 511.38 करोड़ मूल और 412.76 करोड़ व्याज मिलाकर कुल 924.14 करोड़ रुपया बकाया है। अन्य संस्थानों पर मूल 48.62 का व्याज दोगुना से ज्यादा 101.71 करोड़ रुपये के साथ 150.33 करोड़ रुपये की राशि बकाया है। यानी हवाई अड्डे,पीएसयू सहित अन्य संस्थान पर 6537.15 करोड़ रुपये बकाया राशि लंबित है।