कोरोना से बचाव के नियम राजधानी के बड़े बाजारों में हो रहे तार-तार, सुपर स्प्रेडर बन रहे मार्केट
नई दिल्ली
वीकेंड कर्फ्यू के बाद सोमवार को जब बाजार फिर से खुले तो कोरोना से बचाव के नियम दोबारा से तार-तार होते दिखे। थोक बाजारों से लेकर खुदरा व गली-मोहल्लों के बाजारों में कमोबेश एक से हालात थे। शारीरिक दूरी व मास्क को लेकर अधिकांश लोग गंभीर नहीं दिखे तो प्रशासन भी सचेत व चालान करने को लेकर सुस्त दिखे। कोढ़ में खाज अवैध रेहड़ी-पटरी व लोडिंग-अनलोडिंग रहा। इसके कारण लोगों को पैदल चलने के लिए भी जगह नहीं मिल रही थी। बुरा हाल सदर बाजार, चांदनी चौक, खारी बावली, भागीरथ पैलेस, चावड़ी बाजार, गफ्फार मार्केट व कश्मीरी गेट में देखने को मिला। सदर बाजार में तो पैर रखने भर की जगह नहीं थी। दिल्ली में ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने इस शनिवार से वीकेंड कर्फ्यू के प्रविधान को लागू किया है। अब हर शनिवार और रविवार दिल्ली के सभी बाजार बंद रहेंगे। केवल दूध, सब्जी, दवा समेत अन्य जरूरी सामानों की दुकानें ही खुली रहेंगी। इसके साथ ही सम-विषम (आड-इवेन) आधार पर दुकानें खोलने तथा रात्रि कर्फ्यू भी साथ-साथ चलता रहेगा। दो दिन की बंदी के बाद पुरानी दिल्ली के सभी बाजार खुले। उसमें भी सम-विषम का कम ही पालन होते दिखा। मुख्य मार्गों पर इस आधार पर दुकानें खुली-बंद रही, लेकिन सदर बाजार और चांदनी चौक जैसे बाजारों की गलियों में कई दुकानें नियम के विपरीत खुली रहीं।
करोलबाग व गफ्फार मार्केट खुले
सोमवार को करोलबाग व गफ्फार मार्केट के साथ ही नई दिल्ली के अन्य कई बाजारों का साप्ताहिक अवकाश होता रहा, लेकिन ये बाजार खुले रहे। इस बारे में टैंक रोड बाजार के प्रधान सतवंत सिंह ने कहा कि वीकेंड कर्फ्यू को देखते हुए फिलहाल साप्ताहिक अवकाश को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, उन्होंने सम-विषम आधार पर दुकानें खुलने से दूसरे राज्यों से खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहकों को हो रही मुश्किलों का हवाला देते हुए कहा कि इसे हटाया जाना चाहिए। इसके चलते कारोबार काफी प्रभावित हो रहा है।
कार्यालय बंद रखने को लेकर असमंजस
बाजारों में स्थित व्यवसायिक कार्यालयों को बंद करने को लेकर व्यापारियों में असमंजस की स्थिति है। इस संबंध में कश्मीरी गेट आटोमोटिव पार्ट्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय नारंग ने कहा कि कई व्यापारियों के गोदाम और कारखाने दूसरे स्थानों पर है। बाजारों में उनके कार्यालय हैं, जहां बिल बनते हैं और सौदे तय होते हैं। ऐसे में ये बंद हो गए तो बाजारों का 30 से 40 प्रतिशत कारोबार तो इसके चलते प्रभावित हो जाएगा।